Varanasi: फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में माफिया मुख्तार अंसारी दोषी करार

वाराणसी की MP/MLA कोर्ट में हुई सुनवाई, सजा पर फैसला कल

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वाराणसी की एमपी/एमएलए कोर्ट ने फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में माफिया सरगना और मऊ के पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. अब एमपी/एमएलए कोर्ट बुधवार 13 मार्च को मुख्तार को सजा का फैसला सुना सकती है. मामला 36 साल पुराना है और फर्जी ढंग से बंदूक के लाइसेंस लेने से जुड़ा है. इस मामले में मुख्तार अंसारी पर डीएम और एसपी का फर्जी हस्ताक्षर कर लाइसेंस लेने का आरोप लगा था. कोर्ट में सुनवाई के दौरान बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ा था. मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह तीसरा मुकदमा है जिसमें अदालत द्वारा सजा सुनाई जाएगी. इससे पहले अवधेश राय हत्याकांड और कोयला व्यवसायी नंद किशोर रुंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकाने के मामले में यहां की अदालत सजा सुना चुकी है।

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फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में विशेष जज (MP/MLA COURT) अवनीश कुमार गौतम की अदालतज में इससे पहले 27 फरवरी को सुनवाई हुई थी. दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 12 मार्च को फैसले की तिथि निर्धारित की थी. लेकिन आज कोर्ट ने मुख्तार को दोषी तो करार दिया लेकिन सजा के लिए 13 मार्च की तिथि निर्धारित कर दी है.

यह है मामला

चार दिसम्बर 1990 को मुहम्मदाबाद थाने में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत 5 नामजद और अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. मामले की सुनवाई के दौरान तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव का निधन हो गया था और इस मामले में पूर्व सीएस आलोक रंजन और पूर्व डीजीपी देवराज नागर ने भी बयान दर्ज कराया था. मामले की जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी. इस मुकदमे में 10 लोगों की गवाही हुई थी. इनमें पूर्व मुख्य सचिव और पूर्व डीजीपी ने भी गवाही दी थी.

फर्जी कागजात के आधार पर दोनाली बन्दूक का लाइसेंस लेने का है आरोप

मुख्तार अंसारी पर 10 जून 1987 को फर्जी कागजात के आधार पर दोनाली बन्दूक का लाइसेंस लेने का आरोप था. मुख्तार के खिलाफ स्पेशल MP/MLA कोर्ट में मुकदमा चला. सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था और इस मामले में फिर से विचार करने की गुहार लगाई थी. आरोप है कि गाजीपुर के तत्कालीन डीएम और एसपी के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर मुख्तार ने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था. गौरतलब है कि इससे पहले जरायम जगत से जुड़े पूर्व जनप्रतिनिधियों में धनंजय सिंह, विजय मिश्रा और उदयभान सिंह उर्फ डाक्टर को भी एमपी/एमएलए कोर्ट सजा सुना चुकी है.

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