शहर में नहीं रहेंगे तो जायेंगे कहां, कौन देगा इन्‍हें भोजन…

शहर में नहीं रहेंगे तो जायेंगे कहां, कौन देगा इन्‍हें भोजन...

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शुगर फ्री, फैट फ्री तो आपने सुना होगा लेकिन बेगर फ्री भला ये क्या है, आपके मन में यही सवाल उठ रहा होगा यह हेडिंग पढ़कर तो जान लीजिए कि बनारस के लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को इस शहर को भिखारियों से मुक्त कराने का निर्णय लिया है।

यह निर्णय कुछ सामाजिक संस्थाओं के साथ हुई बैठक में लिया गया। तय किया गया है कि शहर के तमाम एरिया में मौजूद भिखारियों को हटाकर एक जगह शिफ्ट किया जाएगा।

शहर के भिखारियों को शिफ्ट करने का काम दो अप्रैल से शुरू होगा। कई फेज में होने वाले इस काम के फर्स्ट फेज में कालभैरव, संकटमोचन मंदिर, दशाश्वमेध और अस्सी एरिया में जमे भिखारियों को शिफ्ट किया जाएगा।

इन्हें सामने घाट स्थित एक सामाजिक संस्था के सुपुर्द किया जाएगा। कुछ ऐसे भिखारी, जो श्रम करने योग्य हैं, उनके पुनर्वास के लिए जिला प्रोबेशन कार्यालय बंदोबस्त करेगा इन्हें परमानंदपुर स्थित शेल्टर होम में शिफ्ट किया जाएगा।

भिखारियों के खाने का इंतजाम निजी संस्थाओं व काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अन्न क्षेत्र से होगा। कमिश्नरी सभागार में कमिश्नर दीपक अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में लोकल एडमिनिस्टेरशन, नगर निगम, वीडीए व कई सामाजिक संस्था के पदाधिकारी मौजूद रहे।

लेने देंगे ना देने देंगे भीख-

बनारस को बेगर फ्री बनाने के लिए लोकल एडमिनिस्ट्रेशन पब्लिक का सहयोग भी लेगा। कमिश्नर ने आदेश दिया है कि मंडलायुक्त ने आदेश दिया कि यदि कोई व्यक्ति या समूह बच्चों से भीख मंगवाता पाया जाएगा तो उनके खिलाफ केस दर्ज कराया जाएगा।

लोगों को भीख न देने का संदेश शहर में प्रसारित होगा। थानों, पुलिस चौकियों, धार्मिक स्थल, घाट सहित अन्य सार्वजनिक स्थल पर फ्लैक्स बोर्ड भी इस बाबत लगेंगे। शहर को भिखारियों से मुक्त कराने के लिए कमिश्नर ने नगर निगम को नोडल बनाया है।

उसे जिम्मेदारी दी गयी है कि फर्स्ट फेज के चार स्थानों कालभैरव, संकटमोचन मंदिर, दशाश्वमेध और अस्सी एरिया में मौजूद रहने वाले भिखारियों का डेटाबेस तैयार किया जाए। बीमार, विकलांग, वृद्ध को सामनेघाट स्थित संस्था के पास भेजा जाए जो काम कर सकते हैं उनके लिए काम का इंतजाम किया जाए।

मुसीबत होगी कम-

कोरोना काल में लाकडाउन के दौरान शहर के भिखारियों को शेल्टर होम्स में भेजा गया था। कुछ दिनों बाद ये फिर सड़कों पर जम गए। पर्यटन की दुनिया में अपनी खास पहचान रखने वाले शहर बनारस में आने वाले पर्यटकों के लिए भिखारी बड़ी मुसीबत साबित होते हैं।

हर उस जगह पर इनकी टोलियां मौजूद रहती हैं जहां टूरिस्ट का आना होता और जब तक टूरिस्ट से कुछ हासिल ना कर लें तब तक उनका पीछा नहीं छोड़ते हैं। कई बार तो छीना-छपटी तक पर उतर आते हैं।

हर साल लाखों की संख्या में आने वाले टूरिस्ट से होने वाली मोटी कमाई को देखते हुए हजारों की संख्या में भिखारी शहर में जमे हुए हैं। कई टोलियां तो छोटे-छोटे बच्चों को लेकर भीख मांगती नजर आती है।

दान की भी है परंपरा-

धार्मिक वजह से बनारस आने वाले टूरिस्ट गंगा स्नान, बाबा विश्वनाथ के दर्शन के बाद दान भी करते हैं। टूरिस्ट घाट व मंदिरों में मौजूद ब्राह्मणों के साथ ही भिक्षाटन करने वालों को भी दान देते हैं।

उन्हें खाने-पीने के सामान के साथ रुपये और वस्त्र का भी दान किया जाता है। मकर संक्राति आदि पर्व में तो गंगा स्नान के बाद दान का बड़ा महत्व पुराणों में बताया गया है। एसे मौकों पर हजारों की संख्या में भिखारी शहर में नजर आते हैं।

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