ओलंपिक रद्द होने की चर्चा से दूर, खिलाड़ी प्रैक्टिस कर रहे भरपूर
महामारी कोरोना की वजह से जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों पर आशंका के बादल गहराने लगे हैं। ओलंपिक के एक बार फिर से रद्द होने की चर्चा इन दिनों तेज हो गयी है। पिछले साल 24 जुलाई 2020 से शुरू होने वाले इस खेल महाकुम्भ को स्थगित कर दिया गया था।
इसकी नयी डेट 23 जुलाई से 8 अगस्त 2021 तय की गयी है। हालांकि की कोरोना से प्रभावित दुनिया की हालत में अभी भी खास सुधार नहीं हुआ है। इसके चलते मीडिया जगत में ओलंपिक को फिर से टाल दिये जाने या न कराये जाने को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है। हालांकि इसे खास तवज्जों ने देते हुए भारतीय खिलाड़ी अपनी प्रैक्टिस में लगे हुए हैं।
उनमें जोश पहले की तरह बरकरार है, देश के लिए मेडल लाने के जज्बे से ग्राउंड पर खूब पसीना बना रहे हैं। इनमें ही शामिल हैं बनारस के रहने वाले भारतीय टीम के हाकी खिलाड़ी ललित उपाध्याय। आइए उनसे जानते उनकी तैयारी और ओलंपिक रद्द होने की चर्चा का खिलड़ियों पर असर के बारे में।
जीवन का सपना होता है ओलंपिक-
इन दिनों बंगलूरू में चल रहे इंडियन हाकी कैम्प में शामिल टीम के लिए मिडफिल्डर व फॉरवर्ड पोजीशन पर खेलने वाले यंग प्लेयर ललित उपाध्या्य ने जर्नलिस्ट कैफे से कहा कि किसी खिलाड़ी के लिए सपने से कम नहीं होता है ओलंपिक में खेलना। इसके लिए वह अपना सबकुछ दांव पर लगा देता है।
किसी भी कारण से ये मौका उससे चूक जाए तो उससे बड़ा सदमा उसके लिए नहीं हो सकता है। ओलंपिक दुनिया का सबसे बड़ा स्पोर्ट्स इवेंट है। इसमें बेस्ट प्लेयर्स को ही अपने देश की तरफ से खेलने का मौका मिलता है। अगर एक खिलाड़ी अपने देश के लिए मेडल हासिल करता है तो वह अपने देश का गौरव दुनिया के सामने बढ़ाता है और इससे बड़ी बात किसी खिलाड़ी के लिए नहीं हो सकती है।
मिलते हैं चंद मौके
ललित बताते हैं कि एक खिलाड़ी को ओलंपिक जैसे इवेंट में शामिल होने के चंद मौके ही मिलते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह इस इवेंट का चार साल में एक बार होना है। एक प्लेयर का बेस्ट टाइम बहुत छोटा होता है। उसकी फिटनेस, परफार्मेंस और परिस्थितियां हर वक्त अनुकूल नहीं हो पाती हैं। प्रैक्टिस के समय इंजरी समेत और प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती हैं।
अपनी परफार्मेंस और फिटनेस को लगातार चार साल तक बनाए रख पाना आसाना नहीं होता है। वहीं अपनी टीम में नए प्लेयर्स की ओर से चुनौती लगातार मिलती रहती है। दुनियभर में गिनती के खिलाड़ी होंगे जिन्हें एक के बाद दूसरे ओलंपिक में पार्टिशिपेट करने का मौका मिला होगा।
आसान नहीं था वह वक्त
बनारस के रहने वाले भारतीय हाकी खिलाड़ी ललित बताते हैं कि कोरोना ने खेल का बहुत नुकसान किया। वर्ष 2020 में जब ओलंपिक का काउंटडाउन लगभग शुरू ही था तभी लाकडाउन हो गया। खिलाड़ियों को खेल का मैदान छोड़कर अपने घरों में रहना पड़ा। इस दौरान अपने फिटनेस और परफार्मेंस को बनाए रखना आसान नहीं था।
हालांकि कोच आदि वीडियो कालिंग के जरिए लगातार सम्पर्क में थे। उनकी तरफ से लगातार गाइडेंस मिल रही थीं लेकिन मैदान से दूर होने का असर तो होता ही है। आधा दिन से ज्यादा समय ग्राउंड में बिताने वाले प्लेयर के लिए घर की चहारदीवारियों में कैद होना आसान नहीं रहा। फिजिकल से भी ज्यादा था मेंटल कंडीशन को मेंटेन करना। ओलंपिक की डेट नजदीक थीं और तैयारी के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं हो पा रहा था।
सिर्फ खेल पर दे रहे ध्यान
भारत में कोरोना काफी कंट्रोल है। इसका असर हुआ कि जनजीवन समान्य होने के साथ खेल की गतिविधियां भी शुरू हो सकी हैं। ओलंपिक की तैयारी के लिए इंडियन हाकी टीम का कैम्प बैंगलोर में चल रहा है। ललित उपाध्याय इसका हिस्सा हैं। वो कहते हैं कि ओलंपिक के रद्द होने की चर्चा इन दिनों मीडिया में चल तो रही लेकिन उनके साथ ही कैम्प में मौजूद अन्य खिलाड़ी इसे खास तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
वो अपनी प्रैक्टिस में मशगूल हैं। कैम्प में तैयार शेड्यूल को फालो करते हुए लगातार अपने खेल को निखार रहे हैं। हर किसी की कोशिश है कि फिजिकल के साथ अपने मेंटल कंडीशन को भी काफी स्ट्रांग रखा जाए। वो उम्मीद करते हैं कि खिलाड़ियों को जज्बा इतना ऊंचा है कि इस बार ओलंपिक में मेडल जरूर ले आएंगे और दुनिया के सामने देश का मान बढ़ाएंगे।
बनारस का गौरव हैं ललित
बनारस में पले-बढ़े ललित ने अपने खेल की शुरुआत यहीं के मैदाने से की है। वर्ष 2014 में वर्ल्ड कप खेलने वाली भारतीय टीम का हिस्सा बनने का मौका मिला। उन्होंने वर्ष एशिया कप 2017, 2018 चैम्पियन ट्राफी समेत तमाम सम्मानित टूर्नामेंट में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया है। इस बार उनके ओलंपिक खेलने की पूरी संभावना है। एसे करने वाले बनारस के ये चौथे हाकी खिलाड़ी होंगे। इसके पहले मो शाहिद, विवेक सिंह और राहुल सिंह को ओलंपिक खेलने का मौका मिला था।
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