वाराणसी में विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) अनिल कुमार पंचम की अदालत ने बीएचयू बवाल मामले में तीन छात्रों को अग्रिम जमानत दी है. इस मामले में पुलिस ने 12 नामजद समेत 200 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था. बता दें कि बीएचयू छात्र की सड़क हादसे में मौत की अफवाह फैल गई थी. इस पर चीफ प्रॉक्टर कार्यालय व कुलपति आवास में घुसकर छात्रों ने तोड़फोड़ कर दिया था. इतना ही नहीं गाली-गलौज करते हुए सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट भी हुई थी.
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इस मामले में आरोपित तीन छात्रों को घरिहा (गाजीपुर) निवासी अंकित पाल, रोहतास (बिहार) निवासी क्षितिज कुमार व अहरक (बडागांव) निवासी दर्शित पाण्डेय को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इस दशा में विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) अनिल कुमार पंचम की अदालत ने 50-50 हजार रुपए की दो जमानतें एवं बंधपत्र देने पर अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत में आरोपित छात्रों की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव, चंद्रबली पटेल व रोहित यादव ने पक्ष रखा. अभियोजन पक्ष के अनुसार बीएचयू चीफ प्रॉक्टर कार्यालय के सहायक सुरक्षा अधिकारी राकेश गुप्ता ने 18 फरवरी को लंका थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी.
सड़क हादसे में छात्र की मौत की अफवाह के बाद हुई थी घटना
आरोप था कि 17 फरवरी 2024 को ब्रोचा छात्रावास के पास सड़क हादसे में एक युवक की मौत हो गयी थी. इस बीच यह अफवाह फैलने पर की मृतक बीएचयू का छात्र है, को लेकर बीएचयू के छात्र शुभम शुक्ला, संजय गांधी, अनुज राम, अंकित राय, दुर्गेश यादव के नेतृत्व में करीब 200 की संख्या में छात्र अपने हाथों में लाठी-डंडा, सरिया व ईंट-पत्थर लेकर चीफ प्राक्टर कार्यालय में घुस गये और वहां तोड़फोड़ करते हुए सुरक्षाकर्मियों के साथ गाली-गलौज व मारपीट करने लगे. चीफ प्रॉक्टर प्रो. शत्रुधन त्रिपाठी, डा. राजेश कुमार सिंह, डॉ. अमरेश प्रताप सिंह ने उग्र छात्रों को समझाने का काफ़ी प्रयास किया, लेकिन वे गाली-गलौज व धमकी देते हुये कुलपति आवास में अनाधिकृत रूप से घुस गये. वहां खड़ी सरकारी इनोवा गाड़ी क्षतिग्रस्त कर दिया. साथ ही ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा सुपरवाइजर सच्चिदानंद राय, रमाशंकर सिंह, अशोक शर्मा समेत अन्य गार्डों से मारपीट करते हुये वादी को भी लाठी-डंडे व पत्थर से मारे. नाराज छात्रों ने मुख्य द्वारा और नरिया गेट को बंद कर प्रदर्शन करने लगे.