रेप पीड़िता : चिन्‍मयानंद पर रसूख के चलते नहीं हुआ एक्शन

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यूपी की योगी सरकार द्वारा पूर्व केंद्रीय गृह राज्‍य मंत्री स्‍वामी चिन्‍मयानंद पर दर्ज रेप केस वापस लेने के फैसला के बाद इस मामले की पीड़िता ने राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधिश, राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस संबंध में कार्रवाई नहीं किए जाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। पीड़िता का आरोप है कि यूपी सरकार आरोपी स्वामी का खुलकर मदद कर रही है।

खिलाफ दर्ज रेप केस को वापस लेने का फैसला

पीड़ित साध्वी का आरोप है कि यौन उत्पीड़न के आरोपी पूर्व गृह राज्यमंत्री चिन्मयानंद प्रभावशाली नेता है। इसलिए उनको शासन, प्रशासन और न्यायालय से खुली मदद मिल रही है। यही वजह है कि उनके खिलाफ वारंट जारी करके कार्रवाई करने की बजाए उनकी मदद की जा रही है। अब तो यूपी सरकार इनके खिलाफ दर्ज रेप केस को वापस लेने का फैसला कर चुकी है। साध्वी ने पत्र में लिखा है, ‘मैंने 30 नवंबर 2011 को शाहजहांपुर कोतवाली में मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता चिन्मयानंद के खिलाफ केस दर्ज कराया था। उस समय तक वह आरोपी की शिष्या और आश्रम की प्रबन्धक थी।

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सन्यास देने के नाम पर बहलाने, फुसलाने और बंधक बनाने के बाद लंबे समय तक बलात्कार किया गया। इसके साथ ही जान से मारने का प्रयास किया गया। ‘इस केस की विवेचना कोतवाली इंस्पेक्टर को दी गई, लेकिन आरोपी को लाभ पहुंचाने की नीयत से पुलिस ने विवेचना में खास रुचि नहीं दिखाई। इसका सीधा लाभ आरोपी चिन्मयानंद को मिला। गवाह और सुबूत के अभाव में आरोपी इलाहाबाद हाईकोर्ट से गिरफ्तारी पर स्टे लेने में कामयाब हो गया। इसके बाद प्रार्थिनी ने सीजेएम के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया। इसके बाद इस केस की विवेचान यूं लटकी रही।

मंजिल सैनी ने एसआईएस को विवेचना सौंप दी

प्रार्थिनी ने डीआईजी बरेली से विवेचना में तेजी लाने और शाहजहांपुर पुलिस के अलावा किसी अन्य जिले की पुलिस से विवेचना कराने की मांग कर दी। इस पर डीआईजी एंटनी देव कुमार ने विवेचना बदायूं पुलिस के हवाले कर दी। बदायूं की तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एसआईएस को विवेचना सौंप दी। पीड़िता का आरोप है कि पुलिस और कोर्ट के बीच में उनका केस घुमता रहा, लेकिन उन्हें कहीं से न्याय नहीं मिला। इसी बीच यूपी में बीजेपी सरकार बनने के बाद आरोपी चिन्मयानन्द का मनोबल और अधिक बढ़ गया है।

जिला न्यायालय से जारी वारंट सक्रिय हो गया है

आरोपी स्वयं के बारे में अफवाह फैलवा रहा है कि वह मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का गुरुभाई है, जबकि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। इस अफवाह के चलते आईएएस और आईपीएस आरोपी को दंडवत प्रणाम करने लगे हैं। इस चलते आरोपी ने उच्च न्यायालय से अपना मुकदमा वापस ले लिया है। यह मुकदमा वापस ले लेने से जिला न्यायालय से जारी वारंट सक्रिय हो गया है।

रसूल के दम पर उस हमला भी करवा सकता है

लेकिन आरोपी को आशा है कि इस समय पुलिस-प्रशासन उसका कुछ नहीं कर सकते। आरोपी योगी से कई बार मिल चुका है। साध्वी ने पत्र के जरिए गुहार लगाई है कि आरोपी के खिलाफ सरकार मुकदमा वापस लेने का फैसला कर चुकी है, जबकि इस केस को वापस लेने का अधिकार सरकार को नहीं होना चाहिए। इसलिए इस केस को यूपी से बाहर स्थानांतरित कर देना चाहिए, ताकि प्रार्थिनी को न्याय मिल सके। आरोपी अपने रसूख के दम पर उस पर हमला भी करवा सकता है।

aajtak

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