SC/ST एक्ट में नहीं होगी तत्काल गिरफ्तारी : सुप्रीम कोर्ट

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सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों के गलत इस्तेमाल को देखते हुए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) एक्ट के प्रावधानों में बदलाव किया है। कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से पहले जांच-पड़ताल के आदेश दिए है।

जमानत में नहीं होगी दिक्कत

सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से पहले मिलने वाली जमानत की रुकावट को भी खत्‍म कर दिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद दुर्भावना के तहत दर्ज कराए गए मामलों में अब अग्रिम जमानत भी मिल सकेगी।

क्या है एससी/एसटी एक्ट

भारत में दलित वर्ग पर उस समय से अत्याचार होता आया है जब देश को आजादी भी नहीं मिली थी और देश में जमींदारो और राजाओं का राज होता था। जब देश आजाद हुआ उसके काफी सालों बाद भी दलितों पर अत्याचार का घिनौना खेल चलता रहा। लोग दलित को ऐसी निगाह से देखते थे जैसे वो समाज का हिस्सा नहीं हैं इस देश के नागरिक नहीं हैं, न ही वो इंसान हैं। इन्हीं सब मामलों को देखते हुए भारतीय संसद में अनुसूचित जाति एंव अनुसूचित जनजाति अधिनियम पारित कर दिया गया जिससे उनपर हो रहे अत्याचार और शोषण पर लगाम लग सके।

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इस अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति और जनजाति पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कड़े कानून बनाए गए। इस अधिनियम के तहत 20 ऐसे अपराधों को शामिल किया गया है जो अपराध की श्रेणी में आते हैं।

अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के साथ ऐसा करने पर लगेगा SC/ST एक्ट

यह अधिनियम उस व्यक्ति पर लागू होता हैं जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं हैं और इस वर्ग के सदस्यों पर अत्याचार का अपराध करता है। अधिनियम की धारा 3 (1) के अनुसार जो कोई भी यदि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का सदस्य नही हैं और इस वर्ग के सदस्यों पर निम्नलिखित अत्याचार का अपराध करता है तो कानून वह दण्डनीय अपराध माना जायेगा-

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को जबरन अखाद्य या घृणाजनक (मल मूत्र इत्यादि) पदार्थ खिलाना या पिलाना।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को शारीरिक चोट पहुंचाना या उनके घर के आस-पास या परिवार में उन्हें अपमानित करने या क्षुब्ध करने की नीयत से कूड़ा-करकट, मल या मृत पशु का शव फेंक देना।

आरोप लगा कर फंसाना या कारवाई करना

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के शरीर से बलपूर्वक कपड़ा उतारना या उसे नंगा करके या उसके चेहरें पर आरोप लगा कर फंसाना या कारवाई करना या इसी प्रकार का कोई ऐसा कार्य करना जो मानव के सम्मान के विरूद्ध हो।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के भूमि पर से गैर कानूनी-ढंग से खेती काट लेना, खेती जोत लेना या उस भूमि पर कब्जा कर लेना।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को गैर कानूनी-ढंग से उनकें भूमि से बेदखल कर देना (कब्जा कर लेना) या उनके अधिकार क्षेत्र की सम्पत्ति के उपभोग में हस्तक्षेप करना।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्य को भीख मांगनें के लिए मजबूर करना या उन्हें बुंधुआ मजदूर के रूप में रहने को विवश करना या फुसलाना।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्य को वोट (मतदान) नहीं देने देना या किसी खास उम्मीदवार को मतदान के लियें मजबूर करना।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य के विरूद्ध झूठा, परेशान करने की नीयत से इसे पूर्ण अपराधिक या अन्य कानूनी आरोप लगा कर फंसाना या कारवाई करना।

किसी लोक सेवक (सरकारी कर्मचारी/ अधिकारी) को कोई झूठा या तुच्छ सूचना अथवा जानकारी …

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