घायलों को नहीं, पहले गाय को पहुंचाया गया था गोशाला

0

राजस्‍थान के अलवर में गोरक्षकों द्वारा कथित रूप से अकबर खान उर्फ रकबर खान को पीट-पीटकर मार दिए जाने के मामले में पुलिस की घोर अमानवीयता सामने आई है। अकबर को 6 किलोमीटर दूर स्थित अस्पताल पहुंचाने में अलवर पुलिस को 3 घंटे लग गए। पुलिस ने गंभीर रूप से घायल खान को सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र पहुंचाने से पहले घटनास्‍थल से बरामद दो गायों को गोशाला पहुंचाने को प्राथमिकता दी। अगर अकबर को जल्दी अस्पताल पहुंचाया जाता तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी।

बाद में खान को हॉस्पिटल ले जाया गया

आपको बता दें कि पिछले शुक्रवार को हुई मॉब लिंचिंग की इस घटना में अकबर खान की मौत हो गई। पुलिसकर्मी पहले दो गायों को लेकर 10 किमी दूर गोशाला गए और उसके बाद खान को हॉस्पिटल ले जाया गया। स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र के ओपीडी रजिस्‍टर के मुताबिक खान को सुबह 4 बजे वहां लाया गया था। जबकि एफआईआर में कहा गया है कि ‘गोरक्षक’ नवल किशोर शर्मा ने रात 12.41 बजे इस हमले के बारे में पुलिस को सूचना दे दी थी।

रामगढ़ पुलिस का कहना है कि घटना की सूचना मिलने के 15 से 20 मिनट के अंदर उनकी टीम घटनास्‍थल पर पहुंच गई थी। रविवार को जब पत्रकारों ने पुलिस से पूछा कि खान को हॉस्पिटल पहुंचाने में इतना ज्‍यादा समय क्‍यों लगा तो उन्‍हें कोई जवाब नहीं सूझ रहा था। हालांकि एफआईआर में कहा गया है कि पुलिस मौके पर पहुंच गई और खान के शव को तत्‍काल हॉस्पिटल पहुंचाया गया।

‘अज्ञात’ व्‍यक्ति को सुबह 4 बजे हॉस्पिटल लेकर आई थी

एफआईआर दर्ज करनेवाले सहायक सब इंस्‍पेक्‍टर मोहन सिंह ने कहा कि पीड़‍ित ने स्‍वयं ही अपनी पहचान अकबर खान या रकबर खान पुत्र सुलेमान खान, गांव कोल मेवात बताया था। वहीं ओपीडी रजिस्‍टर में कहा गया है कि पुलिस ‘अज्ञात’ व्‍यक्ति को सुबह 4 बजे हॉस्पिटल लेकर आई थी।

Also Read :  …ताकि भगवान राम के पैर पखारे सरयू

ड्यूटी पर तैनात डॉक्‍टर हसन अली ने कहा, ‘वे (पुलिस) अज्ञात व्‍यक्ति को सुबह 4 बजे लेकर आए थे। अस्‍पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो चुकी थी। मैंने शव को मोर्चरी में रखने का निर्देश दिया था।’

उसे घटनास्‍थल ढूढ़ने में समय लग गया

उधर, ‘गोरक्षक’ शर्मा का दावा है कि वह पुलिस को घटनास्‍थल तक ले गए थे। इसके बाद पुलिस अकबर खान को अपने साथ पुलिस स्‍टेशन ले गई थी जबकि शर्मा जैन सुधा सागर गोशाला चले गए। हालांकि एफआईआर में कहा गया है कि जब पुलिस मौके पर पहुंची तो उन्‍होंने देखा कि कई लोग वहां से भाग रहे हैं। यह विरोधाभास रविवार को पुलिस द्वारा दिए गए उस बयान के उलट है जिसमें दावा किया गया था कि उसे घटनास्‍थल ढूढ़ने में समय लग गया।

अकबर को पीट-पीटकर मार डाला गया था

लालवंदी गांव के लोगों ने इस बात की पुष्टि की है कि रात करीब 1 बजे पुलिस की जीप उनके गांव में पहुंच गई थी। इसी गांव में अकबर को पीट-पीटकर मार डाला गया था। हाल ही में अलवर के एसपी का प्रभार संभालने वाले राजेंद्र सिंह ने स्‍वीकार किया कि उनकी जानकारी में यह आया है कि कथित रूप से खान को हॉस्पिटल पहुंचाने में देरी हुई।

खान को हॉस्पिटल पहुंचाने की बजाय गायों को प्राथमिकता देने की पुष्टि उस समय हो गई जब जैन सुधा सागर गोशाला के केयरटेकर रघुवर ने इस बात को स्‍वीकार किया कि गायों को रात 3 बजे वहां पहुंचाया गया था। सूत्रों के मुताबिक स्‍थानीय पुलिस ने एक टेंपो का इंतजाम किया था और उसी के जरिए गायों को गोशाला ले जाया गया था।

हमने अकबर को एक कच्‍ची सड़क पर पाया

बता दें कि गोरक्षकों ने दावा किया है कि अकबर खान की मौत पुलिस कस्‍टडी में हुई है न कि भीड़ की हिंसा से जैसाकि अधिकारियों का दावा है। इस बीच पुलिस ने इस दावे को खारिज कर दिया है। पुलिस दल में शामिल एक पुलिसकर्मी ने कहा, ‘हमने टॉर्च की रोशनी में अकबर की तलाश की और उसकी कराहने की आवाज सुनकर उसके पास पहुंचे। हमने अकबर को एक कच्‍ची सड़क पर पाया। वह पूरी तरह से कीचड़ से सना हुआ था। हम उसका चेहरा भी नहीं देख पा रहे थे।’

पुलिसकर्मी अकबर को मारते और गालियां देते रहे

उधर, स्‍वयंभू गोरक्षक शर्मा ने कहा कि हो सकता है कि गोरक्षकों ने अकबर के साथ बदसलूकी की हो लेकिन बर्बरता नहीं। उन्‍होंने आरोप लगाया कि अकबर को हॉस्पिटल ले जाने से पहले लालावंदी गांव से रामगढ़ पुलिस स्‍टेशन ले जाया गया था। पूरे रास्‍तेभर पुलिसकर्मी अकबर को मारते और गालियां देते रहे। उन्‍होंने दावा किया कि लालावंदी गांव के लोग इस बात के गवाह हैं कि अकबर जब अपने शरीर पर लगे कीचड़ की सफाई कर रहा था, उस समय पुलिसवाले उसकी पिटाई कर रहे थे।साभार

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More