विश्वनाथ मंदिर की ओर से काशी की सांस्कृतिक धरोहर का किया जाएगा सरंक्षण

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वाराणसी – मंदिरो के शहर के नाम से विख्याकत काशी दुनिया के प्राचीन नगरों में से एक है. यहां ऐसे कई धरोहर है जो कि हजारों वर्ष पुराने हैं लेकिन उन्हें आज भी संजोगकर रखा गया है. हालांकि यहां कई वेदशाला और संस्कृत विद्यालय भी हैं जिनकी फंड के अभाव के कारण देख-रेख में कठिनाई आ रही है. वहीं इन छात्रों की शिक्षा के लिये भी संकट आ रहा है. ऐसे में छात्रों को अब बाबा विश्वनाथ का सहारा मिल गया है. बता दें कि मंदिर न्यास संस्कृत विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को कई खास सुविधाएं दे रहा है. इसके अलावा जल्द ही संस्कृत विद्यालय के परिसर के मरम्मत का काम भी काशी विश्वनाथ मंदिर के सहयोग से होगा. मंदिर न्यास की इस पहल से काशी में संस्कृत विद्यालय और उनके छात्रों को नई संजीवनी मिलेगी.

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कमिश्नर ने दी जानकारी

वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा के अनुसार जैसे-जैसे मंदिर की आय बढ़ रही है वैसे-वैसे सामाजिक कार्यों का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है. इसी तरह मंदिर न्यास देव भाषा संस्कृत के उत्थान के लिए छात्रवृत्ति सुविधा के साथ मुफ्त स्कूली पोशाक, किताब और कई जरूरी चीजे छात्रों के लिये उपलब्ध कराएगा. वहीं भविष्य में स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का काम भी किया जाएगा ताकि छात्रों को आधुनिक तरीके से संस्कृत की शिक्षा मिल सके.

काशी की सांस्कृतिक विरासत का होगा उत्थान

काशी के यह प्राचीन विद्यालय शहर की सांस्कृतिक विरासत हैं. इसमें पढ़ने वाले बच्चों को काशी के इतिहास और संस्कृति के बारे में बताया जाता है जिससे काशी की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखा जा सके. वहीं मंदिर न्यास के इस कदम से संस्कृत पढ़ने वाले गरीब बच्चों को काफी सहूलियत मिलेगी. साथ ही देव वाणी संस्कृत भाषा का भी उत्थान हो रहा है और इसके तरफ लोगों का रुझान भी बढ़ रहा है. बता दें कि मंदिर न्यास के इस पहल से विद्यालय के प्रधानाचार्य और अध्यापकों के साथ ही सभी छात्रों में खुशी का माहौल है.

गरीब बच्चों को मिल रही है मदद

शहर के शिवाला इलाके स्थित संस्कृत विद्यालय की प्रधानाचार्या साधना देवनाथ के अनुसार मंदिर न्यास की ओर से छात्रों को ड्रेस, किताब के साथ अध्यापकों को साड़ी और धोती कुर्ता सहयोग स्वरूप प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि इससे गरीब बच्चों को काफी मदद हो रही है. वहीं आशा जताई है कि मंदिर द्वारा आगे भी संस्कृत के उत्थान के लिए उन्हें मदद मिलती रहेगी. वहीं अन्य संस्थानों को भी विद्यालय के कल्याण कार्यों में जुड़ने का आग्रह किया है.

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