महज 21 साल में पति की हुई मौत, जुनुन ने बनाया आर्मी ऑफिसर
कोमल है कमजोर नहीं शक्ति का नाम ही नारी है … एक ऐसी ही नारी एमपी की सागर जिले की निधि जिनके जीवन में तमाम मुश्किलें आने के बाद ही हिम्मत (courage ) नहीं हारी.. रुकी नहीं थमी नहीं बस आगे बढती चली गई। महज 21 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने पति को खो दिया। उनके पति भी आर्मी ऑफसर थे। इतना ही नहीं पति की मौत के समय वे गर्भवती थी।
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जब पति की मौत के बाद ससुरालवालों ने निकाल दिया घर से…
एमपी के सागर की निधि दुबे भी आर्मी ऑफिसर बन गई हैं। निधि के पति मुकेश सेना में नायक थे। साल 2009 में जब मुकेश दुबे का निधन हुआ उस समय निधि की उम्र महज 21 साल थीं और वह चार महीने की गर्भ से थी। पति के निधन के बाद निधि से उनके अपनों ने भी मुंह मोड़ना शुरू कर दिया था। ऐसे में निधि अपने मायके आ गई।
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सारी तकलीफें उस वक्त काफूर हो गईं
निधि शनिवार को चेन्नई में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (ओटीए) की पासिंग आउट परेड में शामिल हुई। निधि के पति मुकेश दुबे की शादी के एक साल बाद 2009 में कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई थी। वे महार रेजीमेंट में नायक थे। ससुराल ने मुकेश की मौत के दो दिन बाद ही गर्भवती निधि को घर से निकाल दिया था। पिता के घर से लौटी निधि डिप्रेशन में चली गई थी। 4 सितंबर 2009 को बेटे के जन्म के बाद खुद को दोबारा खड़ा किया। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पांचवे प्रयास में एसएसबी क्लियर कर लिया। निधि की सारी तकलीफें उस वक्त काफूर हो गईं।
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लक्ष्य कब जुनुन बन गया उन्हें खुद ही पता नहीं चला
जब शनिवार को पासिंग आउट परेड के बादबेटे सुयश ने मां को वर्दी में देखकर सैल्यूट किया और कहा कि मां आप बहुत सुंदर लग रही हो, मैं भी आपकी तरह आर्मी ऑफिसर बनूंगा। उन्होंने 1 अक्टूबर 2016 को ओटीए ज्वाइन किया था। उन्होंने वहां के मौसम में एडजेस्ट होने में दिक्कत हुई। जिसकी वजह से कई बार बीमार पड़ गई। पर इतनी सी मुश्किलों से निधि कहा हारने वाली थी। उन्होंने ठान लिया था चाहे कुछ भी हो जाये वो रुकेंगी नहीं और एक भी दिन ट्रेनिंग मिस नहीं करूंगी। निधि के जीवन का बस एक ही लक्ष्य था। ये लक्ष्य कब जुनुन बन गया उन्हें खुद ही पता नहीं चला।
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उम्र बढ़ने से शारीरिक समस्याएं भी साथ थीं
जुनुन भी ऐसा जो लाइट बंद होने के बाद मेरे दिमाग में ट्रेनिंग चलती थी। अपने से कम उम्र की लड़कियों के साथ शुरू में उन्हें बहुत दिक्कत हुई। मां होने और उम्र बढ़ने से शारीरिक समस्याएं भी साथ थीं। मैं घुड़सवारी की ट्रेनिंग करते समय घोड़े से गिर गई थी। इससे काफी चोटें आईं। स्वीमिंग करने से भी डरी। लेकिन मैंने हार नहीं मानी। जो मेरी कमजोरी थी, ट्रेनिंग में मैंने उसे ही अपनी ताकत बना लिया।
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ट्रेनिंग के दौरान बहुत बार शरीर ने जवाब दिया
पति का चेहरा आंखों के सामने घूमता था मेरे सामने बस दो ही चेहरे घूमते थे एक तो पति मुकेश का और दूसरा बेटे सुयश का। क्योंकि मुझे बेटे से किया वादा पूरा करना था। मैं उसको दिखाना चाहती थी कि तेरी मां कमजोर नहीं। ट्रेनिंग के दौरान बहुत बार शरीर ने जवाब दिया। ऐसा लगा कि अब तो उठ ही नहीं पाऊंगी।मैंने खुद को मानसिक रूप से इतना मजबूत कर लिया था कि उसी ताकत ने मुझे लक्ष्य से भटकने नहीं दिया और मेरा फोकस बना रहा। धीरे-धीरे मेरी स्ट्रेंथ बढ़ती गई। एक-दो महीने के बाद जब मैं ट्रेनिंग के शेड्यूल में ढल गई तो सब नार्मल हो गया। मेरे बाल भी कट गए थे। ट्रेनिंग के दौरान केवल दो बार ही बेटे से मिल पाई थी।
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