एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों…

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कौन कहता है कि आसमान में सुऱाख नहीं होता है एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों… किसी ने सच ही कहा है कि अगर कोई मन में किसी कार्य को ठान ले तो आसमान में भी सुराख किया जा सकता है। कुछ ऐसे ही हौसलों के साथ रितु ने अपने गांव के विकास में लगा दिया। बात हो रही है सीतामढ़ी, बिहार के सोनबरसा प्रखंड की सिंहवाहिनी ग्राम पंचायत की। इस पंचायत में कुल छह गांव हैं। जिनमें विकास की धारा बह चली है। मुखिया रितु जायसवाल को अपने दायित्वों की पूर्ति के लिए ‘उच्च शिक्षित आदर्श युवा सरपंच’ के रूप में पुरस्कृत किया गया है।

गांव के बच्चे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ें लिखें, यह रितु का पहला लक्ष्य

रितु ने सड़क, बिजली और शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए बहुत दौड़धूप की। असर यह हुआ कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत छह किमी लंबी सड़क आठ माह में बन गई। वहीं, हर घर में अब बिजली आ चुकी है। पहले प्राय: सभी लोग खुले में शौच को जाते थे। अब हर घर में शौचालय है। इस इलाके में पिछले दिनों जब बाढ़ ने कहर ढाया तो रितु ने ग्रामीणों की मदद के लिए हरसंभव प्रयास कर लोगों का दिल जीत लिया। ग्रामीण बताते हैं कि रितु को ट्रैक्टर चलाना भी खूब आता है। साधनहीन गरीब किसानों की वे खेत जोतने में मदद करती हैं। यहां तक कि दुरूह इलाकों में स्वयं बाइक चलाकर पहुंच जाती हैं। गांव के बच्चे अंग्रेजी मीडियम में पढ़ें लिखें, यह रितु का पहला लक्ष्य था।

ऊबड़खाबड़ पगडंडी की जगह साफ सुथरी पक्की सड़के हैं

इसके लिए उन्होंने गांव में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल की शुरुआत की। इस प्राइमरी स्कूल में छह गांव के दो सौ से अधिक बच्चे नि:शुल्क पढ़ते हैं। इसका जिम्मा एक एनजीओ को सौंपा गया है। बच्चों को कॉपी, किताब और यूनिफार्म नि:शुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अब यहां के हर घर में शौचालय है और इनका इस्तेमाल भी होता है। ऊबड़खाबड़ पगडंडी की जगह साफ सुथरी पक्की सड़के हैं। बच्चे-बच्चियां अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ते हैं। ग्रामीणजन स्वास्थ्य, शिक्षा और अपने अधिकारों को लेकर सजग हैं। एक सुशिक्षित महिला की ऊंची सोच और कड़ी मेहनत से यह बदलाव सिर्फ एक साल में संभव हो गया। दिल्ली में पली-बढ़ी रितु ने इकनॉमिक्स में बीए किया है।

पंचायत चुनाव में खड़ी हुईं और भारी मतों से जीतीं

17 साल पहले उनकी शादी इसी पंचायत के नरकटिया गांव में हुई थी। पति अरुण जायसवाल केंद्रीय सेवा में उच्च अधिकारी हैं। रितु जब भी ससुराल आतीं तो गांव में गंदगी, अशिक्षा, बीमारियों और पिछड़ेपन को देख काफी आहत होतीं। वे लोगों को जागरूक करने का काम करतीं। यह सिलसिला यूं ही चलता रहा। 2016 में ग्रामीणों के आग्रह पर वे पंचायत चुनाव में खड़ी हुईं और भारी मतों से जीतीं। एक ही साल में उन्होंने बेहद नियोजित तरीके से पंचायत को विकास की मुख्यधारा में ला खड़ा किया। गरीबों के बच्चे अकसर बीमार पड़ जाते थे। इसके लिए मुखिया ने स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाया। बीमारी की बड़ी वजह यहां के भूजल स्तर का बेहद उथला होना था।

विकास के लिए कंधे से कंधा मिला काम कर रही हैं

रितु ने 21 नए पंप लगवाए, जिनकी गहराई ढाई सौ फुट है। महिलाओं के लिए सिलाई, कढ़ाई, ब्यूटी पार्लर और कुटीर उद्योग से संबंधित प्रशिक्षण उपलब्ध कराया। मत्स्य पालन सहित छोटे उद्योग-धंधे को यहां स्थापित करने को लेकर वे प्रयासरत हैं।कई स्वयंसेवी संस्थाएं यहां काम करने को राजी हो गई हैं। आंगनबाड़ी, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाओं में भ्रष्टाचार से आहत हूं। जितना पैसा आता है, उसका सही उपयोग नहीं हो रहा है। रितु जायसवाल, मुखिया, सिंहवाहिनीग्रामीणों के विकास के लिए कंधे से कंधा मिला काम कर रही हैं।

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