हॉकी भारत में प्रसिद्ध खेलों में से एक है। भारत में खेल का सिलसिला सबसे पहले हॉकी से ही शुरू हुई थी। 1928 से 1956 तक हॉकी में भारत की बादशाहत थी. यह समय भारत में हॉकी का स्वर्णयुग कहा जाता है। इसीलिए हॉकी की लोकप्रियता ऐसे बढ़ी कि हॉकी को मौखिक तौर पर राष्ट्रीय खेल कहा जाने लगा।
याचिका पर सुनवाई करने से इनकार:
सुप्रीम कोर्ट ने हॉकी को आधिकारिक रूप से राष्ट्रीय खेल घोषित करने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले वकील से कहा कि हॉकी खेल के प्रति आपकी सोच सराहनीय है लेकिन इस मामले में हम कुछ नहीं कर सकते है और न ही कोई आदेश दे सकते हैं। कोर्ट ने याचिका देने वाले वकील से कहा कि वो चाहें तो सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं।
एथलेटिक्स में सुविधाएं बढ़ाने की भी थी मांग:
आपको बता दे कि सालों बाद टोक्यों ओलम्पिक में पुरुष और महिला हॉकी टीम के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद से हॉकी खेल की लोकप्रियता काफी बढ़ गयी है और हॉकी को आधिकारिक रुप से राष्ट्रीय खेल घोषित करने की मांग उठने लगी थी। याचिका दाखिल करने वाले वकील विशाल तिवारी ने मांग की थी कि एथलेटिक्स जैसे खेलों में सुविधाएं और भी बढ़ाई जाएं जिससे की खिलाड़ियों की दिलचस्पी खेलों के प्रति और भी बढ़े और हॉकी को राष्ट्रीय खेल घोषित किया जाय। गौरतलब हो, हॉकी को राष्ट्रीय खेल के रूप में तो जाना ही जाता है लेकिन उसे आधिकारिक तौर पर अभी राष्ट्रीय खेल नहीं घोषित किया गया है। हॉकी को भारत का गौरव है लेकिन उसकी लोकप्रियता और पहचान घटती जा रही है।
कैसे कहलाने लगा हॉकी राष्ट्रीय खेल:
वैसे तो हॉकी सभी देशों में खेला जाता है, लेकिन 1928 से 1956 तक का समय भारत में हॉकी का स्वर्णिम युग के तौर पर जाना जाता है। क्योंकि भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक खेलों में 1932, 1936, 1948, 1952, 1956 में लगातार स्वर्ण पदक जीता। हॉकी ही एक ऐसा खेल रहा था जिसमें भारत ने एकतरफा राज किया था उस वक्त। इसी के बाद से हॉकी की लोकप्रियता ऐसे बढ़ी कि इसे भारत का राष्ट्रीय खेल कहा जाने लगा।
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