खाप पंचायत को ‘सुप्रीम फटकार’, केंद्र सरकार पर भी सख्त

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अंतरजातीय विवाह के खिलाफ तुगलकी फरमान जारी करने वाली खाप पंचायतों और ऐसे तमाम दूसरे संगठनों को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध बताते हुए कड़ी फटकार लगाई है। खाप पंचायतों पर सख्त कार्रवाई नहीं करने के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी काफी तल्ख लहजे में चेताया। कोर्ट ने साफ कर दिया कि अगर केंद्र सरकार खाप पंचायतों पर प्रतिबंध लगाने में सक्षम नहीं है तो अदालत को ही कदम उठाने होंगे।

‘खाप पंचायत को नहीं है प्रेम विवाह पर रोक लगाने का अधिकार’

सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने प्रेम विवाह करने वाले युवा जोड़ों पर खाप पंचायतों के हमले नहीं रुकने पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस ए. एम. खानविलकर और जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर सवाल उठाए।

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‘केंद्र सरकार नहीं कर सकती बैन तो कोर्ट उठाएगा कदम’

कोर्ट ने दो टूक लहजे में कहा, ‘अगर खाप पंचायतों को बैन करने में केंद्र सरकार असफल है तो फिर हमें ही इस दिशा में कदम उठाना होगा।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि बालिग जोड़ों को अपनी मर्जी से विवाह कर सकते हैं। इस पर किसी खाप पंचायत या ऐसे किसी संगठन को आपत्ति जताने का कोई अधिकार नहीं है।

हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतों का दबदबा

बता दें कि हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाप पंचायतों द्वारा अंतरजातीय विवाह करनेवाले युवाओं को प्रताड़ित करने के कई मामले सामने आए हैं। कुछ मामलों में तो हत्या जैसी घटनाएं भी हो चुकी हैं। हरियाणा की राजनीति को भी यह मुद्दा काफी प्रभावित करता रहा है। सरकार चाहे किसी भी राजनीतिक दल की हो, किसी ने खाप के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं दिखाई है। दूसरी तरफ खाप को मानने वाले लोग इसे अपनी परंपरा का हिस्सा बताते हुए इसका बचाव करते हैं।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

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