साहस और रोमांच से भरी है इस दिव्यांग की जिंदगी, जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

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कहते हैं अगर हौसले में जान हैं तो आप सारा जहां जीत सकते हैं। क्योंकि बिना जुनून के उड़ान भरने वाले और सपने देखने वाले लोग न तो उंचाइयों तक पहुंच पाते हैं और न ही अपने सपनों को पूरा कर पाते हैं, और आखिर में तकदीर को दोष देकर अपने मन को तसल्ली दे लेते हैं। लेकिन जिनको कुछ करने का जज्बा होता है वो लोग तबतक चैन की  सांस नहीं लेते हैं जब तक अपनी मंजिल नहीं पा लेते हैं।

कुछ लोग अपनी मंजिल पाने के लिए कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी हार नहीं मानते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है दिव्यांग साईं प्रसाद की जो बचपन में पैरालिसिस के शिकार होने के बाद भी आज स्काई डाइव करते हैं। 30 साल के साईं प्रसाद ने अमेरिका से कंप्‍यूटर साइंस में मास्‍टर्स किया है और इंडियन स्‍कूल ऑफ बिजनेस से MBA डिग्रीधारक हैं।

आपको जानकर हैरानी होगी कि साईं अब तक 200 बच्‍चों को GMAT क्रैक करने की ट्रेनिंग दे चुके हैं, जिनमें से 180 बच्‍चों ने 800 अंक के पेपर में 700 से अधिक अंक हासिल किए हैं। वे बच्‍चों से तभी फीस लेते हैं जब उन्‍हें ये एग्‍जाम पास कर लेने के बाद किसी टॉप की यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल जाता है।

फिर वे उनसे उतना ही पैसा लेते हैं जितनी की दरकार उन्‍हें किसी टूर कि लिए होती है। साईं को एडवेंचर स्‍पोर्ट्स में काफी दिलचस्‍पी है। वे स्‍काई डाइव करते हैं. साथ ही बच्‍चों का एडवेंचर स्‍पोर्ट्स के लिए उत्‍साहवर्धन करते हैं। वे एशिया के पहले ऐसे डिसेबल हैं जो अंटार्टिका तक पहुंचे हैं।

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इंडियन स्‍कूल ऑफ बिजनेस यानी ISB के वे शुक्रगुजार इसलिए हैं क्‍योंकि केवल उन्‍हीं के लिए पूरे कैंपस को डिसेबल फ्रेंडली बना दिया गया। ISB में उन्‍होंने एंप्‍लायमेंट मॉडल बनाया जिसमें ये बताया गया था कि किस तरह डिसेबल लोग अपनी कमजोरियों को ही अपनी ताकत बना सकते हैं

 

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