गीतों के जरिए ‘गांधी’ के संदेशों को फैला रहीं ये गायिका

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अपनी लोक गायकी से देश-दुनिया में ख्याति पा चुकीं गायिका चंदन तिवारी गांधी के चंपाराण सत्याग्रह के 100 वर्ष पूरे होने पर गीतों के माध्यम से गांधी के संदेश और उनके विचार युवाओं तक पहुंचाने की कोशिश में लगी हैं। उनकी ‘गान्ही जी’ श्रृंखला को लोग खूब पसंद भी कर हे हैं। बिहार के भोजपुर जिला के बड़कागांव में जन्मी और झारखंड के बोकारो में पली-बढ़ी चंदन तिवारी आज लोक गायकी में किसी पहचान की मोहताज नहीं। 25 वर्षीय चंदन गांव की गलियों से गाने ढूंढ़ती हैं और उसे अपनी आवाज में पिरोती हैं।

उनका कहना है, “मैं शास्त्रीय और लोकगीतों का मिलान कर रही हूं और गांव के ठेठ कलाकारों के संग विलुप्त विधाओं पर नए तरह के प्रयोग कर रही हूं। गांव के ठेठ विलुप्त गीतों को फिर से सामने लाने की कोशिश में हूं।”  एक कार्यक्रम में भाग लेने पटना आईं चंदन ने अपनी आगे की योजना के बाबत बताया। उन्होंने कहा, “गांव के लोकगीतों से भटक चुकी युवा पीढ़ी के बीच लोककथा गीतों को लेकर जानेवाली हूं। लोग इसे आज पसंद भी कर रहे हैं।”

अपनी मां रेखा तिवारी की लोक गायकी से प्रेरित होकर इस क्षेत्र में कदम रखने वाली चंदन दूरदर्शन, आकाशवाणी, ई-टीवी, महुआ, बिग मैजिक टीवी के साथ कई निजी एफएम में नियमित प्रस्तुति दे चुकी हैं। चंदन का खास शो ‘पुरबिया तान’ जबरदस्त रूप से हिट रहा है।

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बकौल चंदन, “पुरबिया तान के तहत मैंने ‘बेटी चिरैया के समान’, ‘वॉयस ऑफ गंगा-वॉयस फॉर गंगा’, ‘राधा रसिया’, ‘भिखारीनामा’, ‘महेंद्र मिसिर’ के गीतों को लेकर ‘पुरबिया उस्ताद’, ‘निर्गुनिया राग’, ‘बसंती बयार’, ‘किसान गीत’, ‘गंगा गीत’, ‘राम विवाह’, ‘नदी गीत’, ‘बाल गीत’, ‘जनगीत’ वगैरह की पूरी श्रृंखला तैयार की है।”

उन्होंने बताया, “गान्ही जी’ के गीत खासे लोकप्रिय हैं। वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में उन्होंने सबसे पहले ‘गान्ही जी’ गीत गाए जो आज सभी युवाओं की पसंद बन गए हैं। उसी से प्रभावित होकर गान्ही श्रृंखला शुरू की।” इंडिया हैबिटेट सेंटर, बीएचयू के 100 वर्ष पूरे होने पर भारत भवन में ‘पुरबिया तान’ का खास शो कर चुकीं चंदन ने बताया कि उन्होंने गांधी जी पर 50 से 60 गीतों की एक श्रृंखला तैयार करने की योजना बनाई है।

आमतौर पर अपने गीतों को वेबसाइटों पर रिलीज करने वाली चंदन ने गांधी जी के गीतों की श्रृंखला की सीडी बनाकर मुफ्त में लोगों को बांटने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा कि इससे सभी तरह के लोगों तक गांधी के संदेश और विचारों को पहुंचाने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि ‘गान्ही जी’ श्रृंखला में सभी गीतों में भोजपुरी और अवधी का सम्मिश्रण है, जिसमें गांधी के देश में हाल में आई समस्याओं को गीत के माध्यम से लोगों के सामने परोसा गया है।

भोजपुरी गानों का जिक्र करने पर उन्होंने कहा, “एक से एक मीठे और मधुर गीत समय के थपेड़े में गुम हो चुके हैं। लोक से गीत लेकर लोक को लौटा रही हूं।” शारदा सिन्हा और भरत शर्मा की परंपरा को आगे बढ़ाने वाली चंदन तिवारी का मानना है कि गांवों में अलिखित गानों का भंडार है, जो नई पीढ़ी में ‘ट्रांसफर’ नहीं हो रहा है। उन गानों को फिर से जीवित करने की जरूरत है।

पुरबिया लोक संगीत में प्रसिद्धि पा चुकीं चंदन अब तक अपराजिता सम्मान, झारखंड नागरिक सम्मान, गाजीपुर का लोक सम्मान जैसे महत्वपूर्ण सम्मान पा चुकी हैं। उनका मानना है कि भोजपुरी के नाम पर हाल की फिल्मों में जो कुछ परोसा गया, उसने भोजपुरी की छवि खराब की है। वह हालांकि यह भी कहती हैं कि इसका भविष्य ज्यादा नहीं है। गंगा बचाओ अभियान की ब्रांड एंबेसडर चंदन का गीत ‘नदिया धीरे बहो’ बेहद लोकप्रिय हुआ है। इसमें उन्होंने नदी की पीड़ा बयां करने के साथ उसे बचाने की अपील भी की है।

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