गंगा का जलस्तर हुआ कम, घाट की सीढ़ियों पर दिख रही रेत
वाराणसी – आमतौर पर गर्मी में चढ़ते पारे के साथ गंगा जून में घाट की सीढ़ियां उतरने लगती हैं लेकिन अबकी बार तो मई के पहले पखवारे के बाद ही गंगा, घाट से मुंह मोड़ चली हैं और पानी काफी जयादा सुख चूका है. यही नहीं दशाश्वमेध घाट पर भयावह छवि देखने को मिल रही है. साथ ही यहां रेतीला उभार भी सामने आया है ऐसा पहली बार हुआ है की दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियों के पास गंगा में रेत का उभार देखने को मिल रहा है.
गंगा के जलस्तर में रोज 2.5 से 3 सेमी की हो रही कमी
इसका कारण गंगा के जल में अप्रत्याशित रूप से हो रही कमी है. जल विज्ञानियों का मानना है कि गंगा के पश्चिमी तट पर पक्के घाटों के पास रेत का निकलना गंगा की पारिस्थितिकी में हो रहे घातक परिवर्तनों का संकेत है. विगत एक सप्ताह से जलस्तर में रोज औसतन 2.5 से 3 सेमी की कमी दर्ज की जा रही है. यह भी माना जा रहा है कि 29 जून के आसपास गंगा का जलस्तर न्यूनतम होता है लेकिन प्रकृति बता रही है कि यह स्थिति एक माह पहले ही आ सकती है.
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क्या कहते हैं केंद्रीय जल आयोग के आकड़े
जलस्तर में घटाव का यही क्रम रहा तो 24 मई के आसपास गंगा का विगत पांच वर्षों के न्यूनतम जलस्तर का रिकार्ड ध्वस्त हो जाएगा. केंद्रीय जल आयोग के आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष 16 मई को गंगा का जलस्तर 58.95 मीटर रहा. यह गत वर्ष 29 जून को दर्ज किए गए गंगा के न्यूनतम जलस्तर 58.11 मीटर से 84 सेमी ही ज्यादा है. मानमंदिर घाट से सिंधिया घाट के बीच गंगा किनारे से आठ मीटर तक दूर जा चुकी हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
गंगा विज्ञानी प्रो बीडी त्रिपाठी बताते हैं की वातावरण में तापमान की वृद्धि से वाष्पीकरण के तेज हो जाने से जलस्तर में तेजी से कमी हो रही है. गर्मी में बहुत सी सहायक और मौसमी नदियों का सूख जाना गंगा के जलस्तर में कमी का दूसरा बड़ा कारण है.
Written By: Harsh Srivastava