सीवेज में मौजूद मानव मल से भी फैल सकता है कोरोना

कोरोना पीड़ितों के मल में वायरस लंबे समय तक जिंदा रहता है

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वैज्ञानिकों ने आगाह किया है कि Sewage मेें मौजूद मानव मल से भी कोरोना का संक्रमण फैल सकता है इसलिए सीवेज को अनदेखा नहीं करें। स्कॉटलैंड की स्टर्लिंग यूनिवर्सिटी ने इस तरह का एक अनुसंधान किया है। इस आधार पर कहा जाता है कि सीवर जल Sewage की नियमित टेस्टिंग जरूरी है। कोरोना के सामाजिक संक्रमण फैलने के कारणों का इससे खुलासा हो सकता है। इसलिए अनेक देश अब सीवर जल की नियमित टेस्टिंग पर जोर दे रहे हैं।

न हो Sewage की अनदेखी

दुनियाभर के वैज्ञानिकों को लग रहा है कि जिस इलाके में कोरोना संक्रमण का अंदाज ऊपरी तौर पर नहीं हो पा रहा, वहां Sewage में मौजूद मल मदद कर सकता है लेकिन वो चेतावनी भी दे रहे हैं कि अगर Sewage को अनदेखा किया गया तो उससे भी कोरोना संक्रमण हो सकता है।

पर्यावरण वैज्ञानिकों ने इसे लेकर गंभीर चेतावनी दी है। उनका कहना है कि जो लोग कोरोना से संक्रमित हैं, उनका मल जब Sewage में पहुंचेगा तो उसके जरिए भी लोगों में संक्रमण तेजी से फैल सकता है। बकौल उनके अभी इस पहलू पर कोई नजर नहीं रखी जा रही है।

भारत में स्थिति विषम

जहां तक भारत की स्थिति है, यहां तो वैसे भी Sewage की सफाई की ओर ध्यान कम ही दिया जाता है। इसलिए कम्युनिटी संक्रमण का हमेशा ही यहां खतरा रहता है।

वैज्ञानिक कहते हैं कि कोरोना प्रभावित व्यक्तियों के मल में कोरोना वायरस लंबे समय तक जिंदा रहता है। इस तरह ये बड़ी समस्या पैदा कर सकता है। स्कॉटलैंड की स्टर्लिंग यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में ये बात कही गई है। इस अध्ययन के सह लेखक रिचर्ड कूलियम ने ये बात कही है।

वैसे कुछ दिन पहले ही इस तरह की खबरें भी आईं थीं कि शोधकर्ताओं ने संक्रमित इलाकों की पहचान के लिए सीवेज (Sewage) जांच की मदद लेने का फैसला किया है।

सीवेज की नियमित जांच

अमेरिका में वैज्ञानिक कोरोना वायरस के संक्रमण की पहचान करने के लिए सीवेज की जांच करेंगे। शोधकर्ता सीवेज की जांच करके देखेंगे कि किन क्षेत्रों से कोरोना संक्रमित मल सीवेज में आ रहा है।

सीवेज देंगे जरूरी जानकारी

इस समय कोविड-19 का प्रसार रोकने के लिए संक्रमण की पहचान करना ही सबसे बड़ी चुनौती है. अक्सर ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें संक्रमित व्यक्ति को अपने संक्रमण का पता तक नहीं चलता।
कोरोना संक्रमण में अब बिना लक्षण वाले मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है।

क्या पता चलेगा इससे

सीवेज जांच से वैज्ञानिकों को पता चलेगा कि किन इलाकों में कोरोना संक्रमित मरीज मौजूद हैं, जिनका पता नहीं लग पाया है। इससे संक्रमित क्षेत्रों का भी पता लग सकेगा।

नीदरलैंड ने इस तरह लगाया था संक्रमण का पता

पिछले महीने नीदरलैंड के वैज्ञानिकों ने वेस्टवाटर या सीवेज की जांच कर संक्रमण का पता लगाया था, उससे उन्हें अहम जानकारियां मिलीं थीं, क्योंकि उस क्षेत्र में जहां उन्हें संक्रमण का पता लगा, वहां ऊपरी तौर पर कोरोना संक्रमण मामले सामने नहीं आए थे। इसका पता सीवेज में मौजूद मल के जरिए चला।

संक्रमण की गंभीरता भी पता लगती है

ऐसे में अगर किसी इलाके में संक्रमित लोगों की संख्या ज्यादा हुई तो इसका पता सीवेज की जांच से पता चल सकता है क्योंकि वहां के सीवेज में संक्रमित मल की मात्रा ज्यादा होगी यानी कि सीवेज में ही संक्रमण की मात्रा ज्यादा होगी।

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