कोरोना महामारी के बीच जन्मी ‘लॉकडाउन’ से मिलिए
चौंकिए मत ये जो बेबी गर्ल (बछिया) है ना इसका नाम लॉकडाउन रखा गया है
चौंकिए मत ये जो बेबी गर्ल (बछिया) है ना इसका नाम लॉकडाउन रखा गया है। खैर तस्वीरें थोड़ा प्राइवेट मूवमेंट की है शायद कुछ लोगों को पसंद ना आए, लेकिन तस्वीरें इसलिए क्लिक करी क्योंकि मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी गाय को बच्चे को जन्म देते देखा था। मेरे जैसे कई लोग होंगे जिन्होंने शायद ही ये देखा हो। गांव से जुड़े लोग तो देखते ही होंगे मगर शहर के लोग शायद ही।
खैर मुद्दे पर आता हूं, बचपन में गांव में कहा जाता था कि गाय के बच्चे पैदा होने के तुरंत बाद से ही चलने फिरने लगते हैं उन्हें हमारी तरह कई सालों तक मां की गोद में नहीं रहना पड़ता है। कहावत है कि एक गाय पेट से थी जब वो प्रसव पीड़ा से जूझ रही थी तो उसके पास से एक ग्वालिन गुज़री।
गाय ने उससे कहा कि क्या तुम मेरे पेट को सहला सकती हो मुझे बहुत दर्द हो रहा है… लेकिन उस ग्वालिन ने उस गाय की मदद ना करके ये कहा कि जितनी देर मैं तुम्हारे पेट को सहलाने में लगाउंगी उतने में तो मैं अपना सारा हांडी में रखा दही बेंच आऊंगी, इतना कहके वो जाने लगती है।
तभी गाय उस ग्वालिन को श्राप देते हुए बोलती है कि मैं तो अपने बच्चे को जन्म दे दूंगी इस दर्द को सह कर और वो तुरंत कुछ ही घंटों में चलने लगेगा लेकिन तुम्हारी जन्मी औलादें कई वर्षों तक तुम्हारे दामन से चिपकी रहेंगी तुमसे खूब सेवा कराएंगी।
(मानता हूं शायद ये कहानी एक परिकल्पना हो मगर ये सत्य भी तो हो सकती है।)
[bs-quote quote=”यह लेखक के निजी विचार हैं, लेखक लखनऊ के जाने-माने फोटो जर्नलिस्ट हैं।
” style=”style-13″ align=”center” author_name=”आशीष रमेश ” author_job=”फोटो जर्नलिस्ट” author_avatar=”https://journalistcafe.com/wp-content/uploads/2020/05/ashish.jpg”][/bs-quote]
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