जंयती विशेष : …जब पीएम के लिए पटेल को मिला था बहुमत
आज लौह पुरुष सरदार पटेल की जंयती है। सरदार पटेल ने अपना पूरा जीवन देश की सेवा मे लगा दिया। आज पटेल का जन्मदिन है , इस मौके पर आपको बताते है सरदार पटेल से जुड़ी कुछ जानकारियां। हमेशा जमीन से जुड़े रहे सरदार पटेल का जन्म एक किसान परिवार में हुआ। वह अपने पिता के साथ खेत में काम करते थे और महीने में दो बार दिनभर का व्रत रखते थे। इस तरह के त्याग ने उन्हें बचपन से ही मजबूत बनाने का काम किया।
उनके मन में देश के गरीबों के लिए दर्द था
चूंकि वह खुद एक गरीब परिवार से आते थे, इसलिए शायद उनके मन में देश के गरीबों के लिए दर्द था। राष्ट्र सबसे पहले महात्मा गांधी के पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रति लगाव के बावजूद किसी भी कांग्रेस कमिटी ने 1946 में नेहरू का नाम प्रस्तावित नहीं किया। दूसरी ओर सरदार पटेल का नाम पूरे बहुमत के साथ प्रस्तावित किया गया। नेहरू ने साफ कर दिया कि वह किसी के मातहत काम नहीं करेंगे।
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पटेल के मन में गांधी जी के लिए बेहद इज्जत थी
गांधी जी को लगा कि कहीं नेहरू कांग्रेस को तोड़ न दें इससे अंग्रेजों को भारत को आजाद न करने का बहाना मिल सकता है। सरदार पटेल के मन में गांधी जी के लिए बेहद इज्जत थी, इसलिए उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। जब 1930 के दशक में गुजरात में प्लेग फैला तो पटेल लोगों की सलाह को दरकिनार करते हुए अपने पीड़ित मित्र की देखभाल के लिए पहुंच गए। परिणामस्वरूप उन्हें भी इस बीमारी ने जकड़ लिया।
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वह एक पुराने मंदिर में अकेले रहे
जब तक वह ठीक नहीं हो गए वह एक पुराने मंदिर में अकेले रहे। पटेल ने नवंबर 1950 में पंडित नेहरू को पत्र लिखकर भारत के उत्तर में चीन के संभावित खतरे के बारे में आगाह किया था। दुर्भाग्य से पंडित नेहरू ने इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया और अंत में 1962 की चीन की लड़ाई के बारे में हम जानते ही हैं। 1909 में पटेल की धर्मपत्नी का हॉस्पिटल में एक ऑपरेशन के दौरान देहांत हो गया। जब पटेल को यह समाचार दिया गया, तब वह अदालत में जिरह कर रहे थे।
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गांधीजी की मौत के दो महीने बाद ही उन्हें हार्ट अटैक भी हुआ
खबर पर प्रतिक्रिया देने के बजाए उन्होंने अपना काम जारी रखा। अदालत की कार्यवाही समाप्त होने के बाद ही उन्होंने अन्य लोगों को यह खबर बताई। सरदार पटेल का महात्मा गांधी से बेहद लगाव था। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब महात्मा गांधी की हत्या की गई तब इस खबर को सुनकर पटेल की सेहत भी खराब रहने लगी। यहां तक कि गांधीजी की मौत के दो महीने बाद ही उन्हें हार्ट अटैक भी हुआ।
आरोप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया
पटेल ने देश के गृहमंत्री के तौर पर महात्मा गांधी की हत्या और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगा दिया। पटेल ने अगस्त 1948 में संघ के प्रमुख माधवराव सदाशिव गोलवरकर को पत्र लिखकर कहा, ‘संघ के सभी नेताओं के भाषण सांप्रदायिक जहर से भरे हुए थे। इनसे ऐसा माहौल बना कि इतना बड़ा हादसा (गांधीजी की हत्या) हो गई। गांधीजी की मृत्यु पर आरएसएस के लोगों ने खुशी जाहिर की और मिठाइयां बांटीं।’
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