HighCourt: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज रेप के एक पुराने मामले में सुनवाई करते हुए टिप्पणी की. इसमें कहा गया कि ‘किसी पीड़िता के स्तनों को छूना या कपड़े उतारने की कोशिश, दुष्कर्म का अपराध नहीं माना सकता है. इसे यौन उत्पीड़न ज़रूर कहा जाएगा.
एकल पीठ ने सुनाया फैसला…
न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने कासगंज के स्पेशल जज पोक्सो कोर्ट का समन आदेश संशोधित कर दिया है और नए सिरे से समन करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के आरोप में जारी सम्मन विधि सम्मत नहीं है. कोर्ट ने ये टिप्पणी कुछ साल पहले 11 साल की बच्ची के साथ हुई रेप की कोशिश से जुड़ी मामले की सुनवाई के दौरान की. यह मामले एटा के पटियाली थाने में दर्ज है.
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कासगंज का है मामला…
बता दें कि यह मामला कासगंज के पटियाली थाना क्षेत्र का है. चार साल पहले पीड़िता की मां ने 12 जनवरी 2022 को ट्रायल कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी. आरोप लगाया कि 10 नवंबर 2021 को वह अपनी 14 साल की बेटी के साथ पटियाली में देवरानी के घर गई थी. उसी दिन शाम को लौटते वक्त रास्ते में गांव के ही पवन, आकाश और अशोक मिल गए.
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क्या बोले जज…
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ आरोपितों ने पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन की अर्जी दाखिल की. हाईकोर्ट में इस मामले में आरोपितों की याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए अहम फैसला सुनाया है. जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की सिंगल बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि महिला के स्तन को पकड़ना, उसके पजामे के नाड़े को तोड़ना और खींचने की घटना को कतई रेप की कोशिश का अपराध नहीं माना जा सकता. इन हरकतों से यह नहीं माना जा सकता कि इन्हें रेप की घटना को अंजाम देने के लिए ही कारित किया गया है.