कठेरिया को मिलेगी ‘यूपी बीजेपी’ की कमान!

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अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में रहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री राम शंकर कठेरिया भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हो सकते हैं। ज्ञात सूत्रों ने यह जानकारी दी है।  भाजपा के सूत्रों ने हा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से परामर्श के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष के लिए कठेरिया का नाम तय माना जा रहा है।

उन्होंने कहा कि आरएसएस के महासचिव भैयाजी जोशी तथा संयुक्त महासचिव दत्तात्रेय होसबले ने उत्तर प्रदेश में पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर प्रदेश में भाजपा के प्रभारी ओम माथुर से चर्चा की, जिसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को कठेरिया का नाम सुझाया गया।

पार्टी सूत्रों ने कहा कि कठेरिया उत्तर प्रदेश के ब्रज इलाके के दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और जातिगत समीकरणों में फिट बैठते हैं। उत्तर प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बारे में पूछे जाने पर एक शीर्ष भाजपा नेता ने कहा, “इस पर जल्द ही फैसला लिया जाएगा।” सूत्रों ने कहा कि भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा पार्टी के एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत के तहत पार्टी में व्यापक तौर पर होने वाले फेरबदल के दौरान की जा सकती है।

पार्टी के सचिव श्रीकांत शर्मा तथा सिद्धनाथ सिंह अब उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री हैं, इसी तरह दारा सिंह पार्टी के ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) मोर्चा के अध्यक्ष पद पर बरकरार हैं। इसके अलावा, दिनेश शर्मा पार्टी योगी आदित्यनाथ की सरकार में उपमुख्यमंत्री के अलावा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर बरकरार हैं।

पार्टी संगठन स्तर पर होने वाले विस्तार का असर केंद्रीय मंत्रिमंडल में होने वाले संभावित फेरबदल पर भी दिख सकता है, जहां पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर अब गोवा के मुख्यमंत्री हैं, वहीं केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार है। दूसरे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य राज्य में पार्टी के अध्यक्ष पद पर बरकरार हैं।

भाजपा विभिन्न समुदायों को एक साथ लेकर चलने को इच्छुक है और नई नियुक्तियां पार्टी के जातिगत प्रतिनिधित्व को दर्शाने का प्रयास हो सकती हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ राजपूत बिरादरी से हैं, वहीं दिनेश शर्मा ब्राह्मण तथा मौर्य पार्टी का ओबीसी चेहरा हैं। योगी आदित्यनाथ पूर्वी उत्तर प्रदेश से हैं, जबकि शर्मा तथा मौर्य राज्य के मध्य हिस्से से हैं।

सूत्रों का कहना है कि राज्य में सरकार के गठन के बाद पार्टी राज्य में वरिष्ठ पद (पार्टी अध्यक्ष) पर किसी दलित नेता की नियुक्ति की इच्छुक है।  विवादित बयानों को लेकर कठेरिया को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बीते साल जुलाई में बाहर कर दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि लखनऊ विश्वविद्यालय में एक जनसमूह को संबोधित करते हुए कठेरिया ने कहा था कि ‘शिक्षा तथा देश का भगवाकरण किया जाएगा।’ उन्होंने कहा, “देश के लिए जो भी ठीक होगा किया जाएगा, चाहे वह भगवाकरण हो या संघवाद (आरएसएस की विचारधारा को बढ़ावा देना)।”

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बीते साल आगरा में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के एक कार्यकर्ता की हत्या के बाद भी कठेरिया ने विवादित टिप्पणियां की थीं। मंत्रिमंडल से हटाए जाने के बाद कठेरिया ने कहा था कि पार्टी उनकी सेवा संगठन संबंधी कामकाज में लेगी।कठेरिया ने 13 साल तक आगरा में आरएसएस के प्रचारक के रूप में काम किया है और दलित मुद्दों पर किताबें भी लिखी हैं। वह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं।

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