रामनगर की रामलीलाः पिता की मृत्यु का समाचार पाकर राम को मनाने वन पहुंचे भरत…

0

वाराणसी के रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला जितनी अनूठी है, उतने ही खास इसे देखने वाले भक्त भी हैं, जो बीते कई दशकों से इस अद्भुत लीला को देखने यहां रोजाना आते हैं. आधुनिकता के दौर से अलग आज भी पेट्रोमैक्स की रोशनी में बिना स्टेज और साउंड सिस्टम के यहां रामलीला का मंचन होता है.

रामनगर की रामलीला का शुक्रवार को 11 वां दिन था. भक्तों की पहुंची भारी भीड़ लीला शुरू होने का इंतजार कर रहे थे. उसी दौरान लीलास्थल पर तेज आवाज गूंजती है “चुप रहो, सावधान” और यही आवाज है लीला के शुरू होने की हजारों की भीड़ एक दम शांत होकर लीला सुनने लगती हैं.

जब अपनी मां कैकेई पर फट पड़े भरत

रामनगर की रामलीला में सोमवार को 11वें दिन के प्रसंग के मुताबिक भरत ननिहाल से लौटे, तो कैकेई से अयोध्या का हाल पूछने लगे. कैकेई ने बताया कि सब मैंने ठीक कर दिया है. बस एक काम विधाता ने बिगाड़ दिया. महाराज दशरथ सुरधाम चले गए. यह सुनकर भरत कैकेई पर फट पड़े. जब उन्हें पता चला कि यह सारा खेल मंथरा का है तो शत्रुघ्न उसकी चोटी पकड़ कर उसे जमीन पर पटक देते हैं. कौशल्या ने उन्हें समझाया कि होनी को कोई नहीं टाल सकता. गुरु वशिष्ठ ने भी समझाया.

ALSO READ: बारिश ने डाली खलल, कानपुर टेस्ट में बांग्लादेश ने खोए तीन विकेट

ALSO READ : बहाल हुए IPS जुगुल किशोर तिवारी, धनश्याम केवट का किया था एनकाउंटर

श्रीराम को मनाने वन को निकले

इसके बाद भरत परिजनों को लेकर श्रीराम को मनाने वन की ओर चल पड़े. भरत को आते देख निषाद राज का दूत सेना के साथ भरत के आने की सूचना देता है. इसपर वह अपना धनुष बाण मंगा लेते हैं, लेकिन भरत से मिलकर उनका भ्रम दूर हो जाता है. निषाद राज भरत के साथ सबको लेकर गंगा दर्शन कराते हैं. भरत गंगा पार कर उस रास्ते सिर नवाते आगे बढ़े जिधर से श्रीराम गुजरे थे. सभी भारद्वाज मुनि के आश्रम पहुंचते हैं और भोजन के बाद वहीं विश्राम करते हैं. यहीं आरती के साथ लीला को विराम दिया गया.

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More