सारनाथ में रामदास आठवले ने भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि का किया दर्शन
वाराणसी : बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर केन्द्रीय मंत्री रामदास आठवले ने सारनाथ में भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि का दर्शन किया. यहीं पर भगवान बुद्ध के प्रथम धर्म उपदेश स्थली भी है. इस दौरान भिक्षु आर सुमितानंद थेरो, भिक्षु चंदीमा थेरो ने रक्षा सूत्र बांधा. पवित्र अस्थि का दर्शन कर निकलने के बाद केंद्रीय मंत्री ने पुरातात्विक खंडहर परिसर में स्थित अति पवित्र धमेक स्तूप पर पहुंचकर दर्शन पूजन किया.
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ठेलेवालों से भी की बातचीत
दर्शन करने के बाद केन्द्रीय मंत्री वहां स्वनिधि से लाभार्थी ठेला व्यवसायियों से भी मिले. ठेला व्यवसायी राजेश कुमार के नेतृत्व में विष्णु, ऋषि नारायण ने केंद्रीय मंत्री को लकड़ी से निर्मित भारत के राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ प्रतीक को भेंट कर स्वागत अभिनंदन किया.
मंदिर का अस्थि अवशेष पर हुआ है निर्माण
बता दें कि प्रथम उपदेश स्थली देश ही नहीं दुनिया भर के बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है. भगवान बुद्ध ने ज्ञान की प्राप्ति के बाद यहीं पर अपने 5 शिष्यों को सबसे पहला उपदेश दिया था. वहीं मूलगंध कुटी विहार मंदिर का निर्माण भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष के ऊपर किया गया था.
मंदिर में दर्शन के लिये रखा गया है अस्थि का छोटा सा भाग
महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव भिक्षु सुमितानंद थेरो के मुताबिक 1932 में मूलगंध कुटी विहार मंदिर का निर्माण भगवान बुद्ध के अस्थि अवशेष के ऊपर किया गया था. इस अस्थि अवशेष का एक छोटा सा भाग मंदिर में दर्शन के लिए रखा गया है. इसे विशेष विधि से संरक्षित करके रखा गया है. उन्होंने बताया कि साल में दो बार आम श्रद्धालुओं के लिए अस्थि कलश दर्शन के लिए रखे जाते हैं. वैशाख पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा पर भक्त अस्थि कलश के दर्शन कर सकते हैं. ब्रिटिश शासन काल में पुरातात्विक सर्वेक्षण कर रहे सर जॉन मॉर्शल और जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने तक्षशिला में स्थित धातु स्तूप से प्राप्त भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष को अनागरिक धर्मपाल को दिया गया था. इसी पर यह मंदिर निर्मित किया गया है. अनागरिक धर्मपाल ने ही महाबोधि सोसायटी ऑफ इंडिया की स्थापना भी की थी.
सारनाथ में देश-दुनिया से पहुंच रहे हैं श्रद्धालु
महात्मा बुद्ध को मानने वालो की संख्या करोड़ो में है. बुद्ध पूर्णिमा पर देश और दुनिया भर के श्रद्धालु सारनाथ पहुंच कर भगवान बुद्ध को अपनी-अपनी श्रद्धा अर्पित कर रहे हैं.