Ram Temple Donation: सैकड़ों सालों के इंतजार के बाद आज अयोध्या को उनके राजा राम मिल ही गये. आज पीएम मोदी के कर कमलों से राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न हुआ है. प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात पीएम मोदी ने संबोधन में कहा है कि उस अवधि में वियोग सिर्फ 24 साल का था. इस युग में तो अयोध्या और उसके निवासी सैकड़ों वर्षों से अलग हो गए हैं.
हमारी कई पीढ़ियों ने हार नहीं मानी तब जाकर यह अवसर प्राप्त हुआ है. ऐसे में राम मंदिर निर्माण में हजारों – हजारों लोगों ने अपनी श्रद्धानुसार दान देकर सहयोग किया है. इसी क्रम में सूरत के एक हीरा व्यापारी परिवार ने 101 किलो सोना अयोध्या के सुंदर राम मंदिर को दान देकर राम मंदिर के सबसे बड़े दानवीर बन गए हैं.
दिलीप वी लाखी कौन है ?
सूरत में सबसे बड़े हीरे के व्यापारियों में से एक दिलीपकुमार वी लाखी का परिवार है. उनका परिवार लंबे समय डायमंड कारोबार करता आया है. लाखी परिवार ने मंदिर को एक सौ एक किलो सोना दान किया है. इस सोने का प्रयोग राम मंदिर के त्रिशूल, डमरू, दरवाजे, गर्भगृह और स्तंभों को सोने से चमकाने के लिए किया गया है.
अब तक मंदिर ट्रस्ट को मिला यह सबसे बड़ा दान है. आपको बता दें कि मौजूदा समय में सोने की कीमत तकरीबन 68 हजार रूपए प्रति 10 ग्राम है. इस प्रकार से देखे तो एक किलो की कीमत करीब 68 लाख रुपए होगी. वही कुल 101 किलो सोने की कीमत करीब 68 करोड़ रुपए होगी. इस तरह से लाखी परिवार ने राम मंदिर में सबसे बड़ा दान किया है.
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दिलीप के पास है दुनिया की सबसे बडी हीरा पॉलिशिंग फैक्ट्री
दिलीप कुमार वी लाखी के पिता विशिनदास होलाराम डायमंड बिजनेस के परिवार से थे. वे भारत पाकिस्तान विभाजन से पहले साल 1944 में जयपुर आए थे. 13 साल की उम्र में दिलीप कुमार ट्यूशन पढ़ाते थे और अपने खाली समय में पिता का व्यापार में हाथ बंटाया करते थे. वे जितना ही अपने पिता के व्यवसाय में शामिल होते गए उतनी ही कुशलता, संघर्ष और मजबूत भावना से प्रभावित होते गए.
साल 1972 में दिलीप कुमार की उम्र 22 साल की थी, जब उनके पिता ने उन्हें मुंबई के जवेरी बाजार में एक केंद्र बनाने के लिए भेजा था. दिलीप अपने पिता के भरोसे पर खरे उतरते हुए हीरा व्यापार में बड़ी तरक्की हासिल की . आज दिलीप के पास भारत के सूरत में शायद दुनिया की सबसे बड़ी हीरा पॉलिशिंग फैक्ट्री है, जिसमें 6000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं.