प्रसाद का लड्डूः काशी के संतों की भड़ास, सनातनियों की आस्था को पहुंचा ठेस, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग

काशी के साधु-संतों ने गहरी नाराजगी जताई है.

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आंध्र प्रदेश के प्राचीन तिरुपति बालाजी मंदिर में विशेष तौर पर लड्डू का प्रसाद दिया जाता है. रोजाना हजारों लड्डू वहां तैयार होता है. इस बीच मंदिर के प्रसाद को लेकर आई एक रिपोर्ट से सियासत काफी गरमा गई है. रिपोर्ट में सामने आया है कि जो लड्डू प्रसाद के तौर पर तिरुपति बालाजी के मंदिर में चढ़ाया जाता है, उसमें जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिलाया जाता है. इसकी जानकारी मिलते ही सभी धार्मिक, सनातनी और साधु- संतों में काफी नाराजगी पाई जा रही है. यह उनकी आस्था और विश्वास का अपमान माना जा रहा है. इस बीच इस मामले को लेकर काशी के साधु-संतों ने गहरी नाराजगी जताई है. संतों ने केंद्र सरकार से इस मामले में दखल देने समेत दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की है.

स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ये धार्मिक अपराध है. आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने प्रसाद में चर्बी मिलाए जाने का जो मुद्दा उठाया है यह बहुत ही गंभीर है. धार्मिक दृष्टि से यह अक्षम्य अपराध है.

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दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग

इस बीच बजरंग दल नेता निखिल त्रिपाठी रुद्र ने कहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार को दखल देना चाहिए जो भी लोग इस मामले में दोषी हो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. उन्हें सबक सिखाने के लिए फांसी की सजा दी जानी चाहिए, ताकि हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ करने वालों को सबक सिखाया जा सके.

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उन्होंने कहा है कि इस खुलासे से देश भर का हिंदू समाज दुखी है. यह देश दुनिया के करोड़ों सनातनियों की आस्था और विश्वास को बड़ी चोट पहुंचाने की साजिश है.

पहले की सरकार के कार्यकाल में हुआ सबकुछ

इसी क्रम में काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रोफेसर राम नारायण द्विवेदी ने इस मामले पर गहरा दुख व्यक्त किया है. कहा है कि तिरुपति मंदिर में लड्डुओं का प्रसाद बनाने की सामग्री में गो-वंश की चर्बी और मांस मिलाने की सूचना आधिकारिक रूप से आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू द्वारा दिए जाने पर पर हिंदू समाज के श्रद्धालुओं को काफी ठेस पहुंची है. प्रोफेसर राम नारायण ने कहा कि नायडू ने बताया था कि यह पूरा क्रम पहले की सरकार के कार्यकाल में हुआ था, जिसका खुलासा सरकारी प्रयोगशाला की रिपोर्ट में हुआ है.

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प्रोफेसर ने कहा कि हम इसकी कटु निंदा करते हैं. हमारी केंद्र सरकार व आंध्र प्रदेश सरकार से मांग है कि इस तथ्य की गंभीरता से और जांच होनी चाहिए. विद्वत परिषद भी शीघ्र ही बैठक कर इस बारे में उचित निर्णय लेगी. इसका कारण है कि इस तथ्य से तिरुपति जाने वाले लगभग 30 करोड़ हिंदू भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है.

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