मुस्लिम धर्म में बहुविवाह, निकाह-हलाला और मुताह पर लगेगा प्रतिबंध! अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर SC ने दी सहमति
मुस्लिम धर्म में बहुविवाह, निकाह-हलाला और मुताह मिस्यार के प्रचलन पर बैन लगाने की मांग को लेकर अश्विनी कुमार उपाध्याय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 5 जजों की बेंच गठित करने पर अपनी सहमति दे दी है. लेकिन, सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है. वहीं, चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जल्द ही मुस्लिमों में बहुविवाह, निकाह हलाला और मुताह के प्रचलित मामलों पर सुनवाई के लिए तारीख सुनिश्चित की जाएगी.
अश्विनी उपाध्याय ने इसको इसको लेकर एक ट्वीट भी किया है. ट्वीट में उन्होंने लिखा
‘सुप्रीम कोर्ट बहुविवाह हलाला मुताह मिस्यार और शरिया कोर्ट की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 5 जजों की बेंच गठित करने पर सहमत हो गई है.’
Supreme Court agrees to constitute 5 Judges Bench to hear PILs challenging constitutional validity of Polygamy Halala Mutah Misyar and Sharia Court
— Ashwini Upadhyay अश्विनी उपाध्याय (@AshwiniUpadhyay) January 20, 2023
अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि निकाह-हलाला की प्रथा में एक तलाकशुदा महिला को पहले किसी और से शादी करना होती है. इसके बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत अपने पहले पति से फिर शादी करने के लिए तलाक लेना पड़ता है. दूसरी ओर बहुविवाह एक ही समय में एक से अधिक पत्नी या पति होने की प्रथा है. मुस्लिमों में प्रचलित ये प्रथाएं अवैध व असंवैधानिक हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया है.
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने जो याचिका दायर की है, उसमें बहुविवाह और निकाह-हलाला को असंवैधानिक और अवैध घोषित करने का निर्देश देने का आग्रह किया है. बता दें इससे पहले जुलाई, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर विचार-विमर्श किया था और मामले को संविधान पीठ के पास भेज दिया था. ये संविधान पीठ पहले से ही ऐसी ही याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी.
जानें निकाह-हलाला के बारे में…
अगर शौहर ने ट्रिपल तलाक के जरिए अपनी बीवी को तलाक दे दिया हो और बाद में वह दोबारा उसी औरत से निकाह करना चाहे तो निकाह-हलाला या तहलील निकाह हुए बिना ऐसा नहीं हो सकता. मतलब ये कि वे दोबारा मियां-बीवी तब तक नहीं बन सकते, जब तक कि उस औरत का किसी दूसरे मर्द से निकाह न हो और दूसरे मर्द से औरत का शारीरिक संबंध भी बनना चाहिए. इसके बाद जब वह दूसरा मर्द उस औरत को अपनी मर्जी से तलाक दे देगा, तब जाकर उस औरत का निकाह उस पहले मर्द से हो सकेगा, जिसने उसे पहले ट्रिपल तलाक दिया था. जो दूसरे मर्द से निकाह करने की शर्त है, इसे ही निकाह-हलाला या तहलील निकाह कहते हैं. हालांकि, कई हदीथों में इसकी मनाही भी है.
जानें मुताह-निकाह के बारे में…
मुताह एक तरह का कॉन्ट्रैक्ट निकाह होता है, जिसमें शौहर अपनी बीवी को निकाह के बदले पैसे देता है तथा एक निश्चित समय तक दोनों साथ रहते हैं. इसे विवाह कहा जाता है, लेकिन एक तरह से ये मुस्लिम महिलाओं की खरीद है. हालांकि, सुन्नी मुसलमान इस प्रथा को स्वीकार नहीं करते, मगर शिया मुसलमानों में इसका बहुत चलन है.
भारत में मुताह-निकाह का केंद्र हैदराबाद है. मुताह-निकाह के बचाव में एक तर्क दिया जाता है कि भारत का कानून लिव-इन-रिलेशनशिप को गैरकानूनी नहीं मानता तो मुताह-निकाह को गैरकानूनी कैसे माना जा सकता. हालांकि, लोगों का एक तर्क ये भी है कि लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने पर दोनों साथियों में किसी को भी दूसरे को पैसे देने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
बता दें वर्ष 2016 में मुताह-निकाह पर लीचेस नामक एक शार्ट फिल्म बन चुकी है. वहीं, वर्ष 1982 में मुस्लिम लड़कियों की खरीद पर बाजार नामक फिल्म भी बनी थी.