मध्य प्रदेश में तेजी से बदल रहा है राजनीतिक घटनाक्रम, बीजेपी का पलड़ा भारी
8 से 9 बागी कांग्रेसी विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया से नाराज
मध्य प्रदेश में तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम बदल रहा है। दूसरी ओर सूत्रों का दावा है कि पार्टी ने विश्वसनीय संकटमोचन डीके शिवकुमार को विधायकों को वापस लाने की जिम्मेदारी दी है।
8 से 9 बागी कांग्रेसी विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया से नाराज
मध्यप्रदेश विधानसभा स्पीकर को इस्तीफा देने वाले कम से कम 8 से 9 बागी कांग्रेसी विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया से नाराज बताए जा रहे हैं। सिंधिया आज भाजपा में शामिल हो गए हैं। जानकारी के अनुसार ये विधायक न तो इस्तीफा देना चाहते हैं और न ही फिर से चुनाव लड़ना चाहते हैं। बेंगलुरु में मौजूद कांग्रेस विधायकों ने एक मैसेंजर के माध्यम से अपनी पार्टी के साथ संपर्क बनाया है।
विधायक जल्द ही लौटेंगे और संकट लंबे समय तक नहीं रहेगा
कांग्रेस ने दावा किया कि विधायकों को बेंगलुरु में तब-तक एक साथ रखने के लिए कहा गया था जब तक कि सिंधिया को राज्यसभा चुनाव के लिए सीट नहीं मिलती। शिवकुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि विधायक जल्द ही लौटेंगे और संकट लंबे समय तक नहीं रहेगा। मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री पी.सी. शर्मा ने कहा कि वे कमलनाथ के मास्टरस्ट्रोक का इंतजार करेंगे। कांग्रेस अपने विधायकों को खरीदफरोख्त से बचाने के लिए जयपुर ले जा रही है। वहीं कांग्रेस ने यह भी दावा किया है कि दर्जनभर भाजपा विधायक उसके संपर्क में हैं।
आंकड़े भाजपा के पक्ष में
फिलहाल आंकड़े भाजपा के पक्ष में दिखाई दे रहे हैं, जिसके सदन में 107 विधायक हैं और फिलहाल सदन कुल सीटें 228 हैं, ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 115 है। लेकिन यदि 20 विधायक इस्तीफा देते हैं, तो सदन की कुल सीटें 208 तक आ सकती है और भाजपा को केवल 104 विधायकों की आवश्यकता होगी। जबकि कांग्रेस को विधानसभा में भाजपा को हराने के लिए कम से कम 15 विधायकों की जरूरत होगी। इसके अलावा निर्दलय चार, सपा के एक और बसपा के दो विधायक हैं। इनमें से उसका एक विधायक बागी है। भाजपा के दो विधायक ऐसे हैं जिन्होंने पार्टी के खिलाफ खुलकर विद्रोह किया और उनकी संख्या सदन में 105 तक जा सकती है।
कांग्रेस भाजपा के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही
कांग्रेस भाजपा के विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है साथ ही वह अपने विधायकों को वापस लाने के लिए मंत्री पद का लालच दे रही है। ऐसे में भाजपा को इस बात पर ध्यान देना होगा कि बेंगलुरु में मौजूद विधायक कहीं फिर से कांग्रेस में वापस न चले जाएं। कई लोग मान रहे हैं कि यह सिंधिया की राज्यसभा का टिकट पाने के लिए दबाव बनाने की रणनीति हो सकती है।