पेड न्यूज मामलें में 11 अक्टूबर को होगी सुनवाई

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पेड न्यूज मामले में 23 जून 2017 को निर्वाचन आयोग द्वारा तीन साल तक लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य ठहराए गए मध्यप्रदेश के जनसंपर्क मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है। इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार (11 अक्टूबर) को होगी।

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दिल्ली उच्च न्यायालय की युगलपीठ बुधवार को सुनवाई करेगी

चुनाव आयोग में मिश्रा के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने वाले पूर्व विधायक राजेंद्र भारती के अधिवक्ता वरुण चोपड़ा ने मंगलवार को बताया कि पेड न्यूज मामले पर दिल्ली उच्च न्यायालय की युगलपीठ बुधवार को सुनवाई करेगी।

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तीन साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया

ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दिल्ली उच्च न्यायालय की युगलपीठ पेड न्यूज मामले की सुनवाई कर रही है। नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में खर्च का सही ब्यौरा न देने और पेड न्यूज प्रकाशित कराने की इस चुनाव के पराजित उम्मीदवार राजेंद्र भारती ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी। इस मामले में आयोग ने आरोप प्रमाणित होने पर चुनाव के नौ साल बाद 23 जून, 2017 को मिश्रा को तीन साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित किया था।

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उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की अपील की

मालूम हो कि चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ मिश्रा ग्वालियर उच्च न्यायालय गए और एक अन्य याचिका मुख्य पीठ जबलपुर में लगाई गई। इस पर सुनवाई से पहले ही भारती ने इस प्रकरण को अन्य उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की अपील की।

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मिश्रा को अंतरिम राहत मिल गई

भारती की अपील पर मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित हुआ और एकल पीठ ने आयोग के फैसले को सही पाया। इस फैसले के खिलाफ मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय गए, जहां से दिल्ली उच्च न्यायालय को युगलपीठ के जरिए सुनवाई के निर्देश दिए गए। साथ ही मिश्रा को अंतरिम राहत मिल गई।

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राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान का अवसर भी नहीं मिला

चुानाव आयोग के फैसले के बाद लगभग ढाई माह से मामला न्यायालय में लंबित है। वर्तमान में मिश्रा अपने मंत्री और विधायक पद की तमाम जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। आयोग के फैसले को चुनौती देते हुए मिश्रा ने सर्वोच्च न्यायालय से विधानसभा के सत्र में हिस्सा लेने के साथ राष्ट्रपति पद के चुनाव में मतदान की अनुमति मांगी थी, मगर उन्हें राहत नहीं मिली थी। परिणामस्वरूप वह विधानसभा सत्र में हिस्सा नहीं ले पाए थे और उन्हें राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान का अवसर भी नहीं मिला था।

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