पंजाबी रीति – रिवाज से संपन्न होगी आज परी – राघव की शादी, जानें क्या – क्या होंगी रस्में…
आज 24 सितंबर को बॉलीवुड अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा और आप सांसद राघव चड्ढा विवाह के बंधन में बंध जाएंगे। इस रॉयल शादी में फिल्मी और राजनीति जगत से कई सारे दिग्गज कलाकार और नेता शिरकत करने वाले है। बीते कई दिनो से राघव और परी की शादी सुर्खिया बटोर रही है।आपको बता दें कि, राघव और परी की शादी उदयपुर के शानदार लीना पैलेस में संपन्न होने वाली है, ऐसे में यह शादी पंजाबी रीति – रिवाज से होने वाली है। क्या आपको मालूम है पंजाबी शादियां कैसे होती है ?समें क्या-क्या रीति-रिवाज और रस्में होते हैं ? अगर नहीं जानते तो आइए जानते है…..
रीति-रिवाजों का महत्व
शादी चाहे किसी भी धर्म की हो, लेकिन उसमें रीति – रिवाज बहुत मायने रखते है। क्योकि विवाह के बंधन में भले वर – वधु बंधते है पर जुडते दो परिवार और दो कुल है। इसलिए शादी तय होने से लेकर विदाई होने तक विभिन्न तरह के रीति – रिवाजों निभाने का नियम रखा गया है।
कहा जाता है कि, रिति रिवाजों के माध्यम से दंपती और परिवार वाले धीरे – धीरे करीब आते है, इसी से तो रिश्ता मजबूत होता है। विवाह के दौरान हाने वाले ये रीति-रिवाज एक सीढ़ी की तरह होते हैं, जिसमें स्टेप बाय स्टेप चढ़कर दो अंजान लोग विवाह तक पहुंचते हैं और सात जन्मों के लिए एक हो जाते हैं। यही कारण है कि विवाह में होने वाले हर रस्म का विशेष महत्व होता है।
पंजाबी शादी के रीति-रिवाज और रस्म
रोका:
पंजाबी शादी में रोका सबसे पहली रस्म होती है, इस रस्म में दूल्हा-दुल्हन का रिश्ता तय होता है। इस दौरान वे एक दूसरे को अंगूठी पहनाते है । रोका में दोनो परिवार के लोग शामिल होते है, आपस में तोहफे और मिठाइयों का लेन-देन करते हैं और रिश्ता पक्का होने की खुशी मनाते हैं।
कीर्तन:
पंजाबी शादी में कीर्तन की रस्म का भी खास महत्व होता है। रोका और सगाई के बाद दूल्हा और दुल्हन के पर पूजा – कीर्तन किया जाता है। इसको लेकर कहा जाता है कि, यह रिश्ते की शुभ शुरुआत के लिए होता है जोकि दिन से शुरू होकर रात तक चलता है।
संगीत सेरेमनी:
संगीत सेरेमनी में ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं और परिवार ढोल की ढाप पर खूब नाचते हैं और जमकर गाना-बजाना होता है, जोकि पंजाबी शादियों की शान है।
मेहंदी:
मेहंदी भी शादी की रस्म का अहम हिस्सा है. इसलिए दूल्हा-दुल्हन दोनों के हाथों में मेहंदी लगाई जाती है. कई परिवार में मेहंदी के साथ ही जग्गो रस्म भी होता है. इसमें सभी रातभर जागते हैं. इस दिन दीप जलाए जाते , जिसे दुल्हन की मामी अपने सिर पर लेकर चलती है.
हल्दी-चूड़ा:
शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है. इस रस्म में परिवार के लोग और करीबी दोस्त शामिल होते हैं. वहीं चूड़ा रस्म में दुल्हन के मामा की ओर से चूड़ा चढ़ाया जाता है, जिसे सब लोग छूकर आशीर्वाद देते हैं.
जब दुल्हन को चूड़ा पहनाया जाता है, तब वह अपनी आंखों को बंद रखती है. वैसे तो चूड़ा पूरे एक साल तक पहनने का नियम है. लेकिन शादी के एक माह या 40 दिन बाद भी चूड़ा उतारा जा सकता है. चूड़ा उतारने की रस्म को चूड़ा वढ़ाया कहते हैं.
सेहरा और घोड़ी चढ़ाय:
विवाह के दिन दूल्हा बनठन कर तैयार हो जाता है तो उसकी बहन उसके उसे सेहरा पहनाती है. दूल्हे को परिवार और दोस्त मिलकर उसे घोड़ी पर चढ़ाते हैं. घोड़ी चढ़ने के बाद दूल्हा बारातियों के साथ दुल्हन के घर जाता है.
बारात-मिलनी:
जब दूल्हा दुल्हन के घर पहुंच जाता है तब लड़की वाले दूल्हे और बारातियों का स्वागत करते हैं. इसे मिलनी कहा जाता है. इसके बाद वरमाला की रस्म होती है और फिर दूल्हा-दुल्हन दोनों विधि-विधान से सात फेरे लेते हैं.
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आनंद कारज:
पंजाबियों में विवाह समारोह को आनंद कारज कहा जाता है. गुरुद्वारा साहिब के मुख्य छात्रावास, जहां सिखों की धार्मिक पुस्तकें पढ़ी जाती है और चार प्रार्थनाएं पढ़ी जाती हैं.
आनंद कारज रस्म के दौरान दूल्हा और दुल्हन एक विशेष कुर्सी पर बैठते हैं और प्रत्येक प्रार्थना के लिए एक कुर्सी लावन करते हैं. वहां कारवां पूरा होने के बाद दूल्हा-दुल्हन वैवाहिक जीवन में बंध जाते हैं. पंजाबी शादी की परंपराएं जिसमें आनंद कारज के बाद गुरुद्वारा साहिब से कराह प्रसाद और बड़ों का आशीर्वाद लेकर उत्सव को आगे बढ़ाया जाता है.
डोली:
पंजाबी शादी में विदाई की रस्म को डोली की रस्म कहा जाता है। गुरूद्वारे में शादी संपन्न होने के साथ ही दुल्हन की विदाई की जाती है, यह भावुक करने वाले पल होते है, ऐसे में सभी लोग दुल्हन को सुखी वैवाहिक जीवन के लिए आशीर्वाद देते है और इसके बाद दंपती नए जीवन की शुरूआत करते है।