एक तरफ नारियों का वंदन अभिनंदन दूसरी तरफ करुण क्रंदन

आसान नहीं है इंसाफ की डगर नारी हो या पुरूष  

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वाराणसी। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देने वाली सरकार में महिलाएं और बेटियां सुरक्षित नहीं है , महिलाओं और बेटियों पर आए दिन कहीं ना कहीं दिल दहलाने वाली घटनाएं सामने आ रही है। आंध्र प्रदेश के हैदराबाद से चलकर वाराणसी पहुंची एक महिला अपनी दिव्यांग बेटी के लिए इंसाफ मांग रही थीं। महिला के आंसू उसके दर्द को बयां कर दे रहे थे। कल पीएम मोदी के आगमन के दौरान अपने हाथों में ‘मोदी जी प्लीज सेव माई डिसेबल डॉटर’ का पोस्टर लेकर न्याय की गुहार लगा रही थी लेकिन महिला की लाचारगी और आंसुओं का किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था एक कहावत भी है कि जाके पांव ना फटे बेवाई सो का जाने पीर पराई।

इंसाफ मांगने के लिए पहुंची काशी

आंध्र प्रदेश की रहने वाली आरुद्र के आंसू उनके दर्द को बयां कर दे रहे थे आरुद्र ने रोते हुए बताया कि उनकी दिव्यांग बेटी इस समय बिस्तर पर है और आंध्रा पुलिस के डीसीपी उनकी बेटी की प्रापर्टी पर अवैध कब्जा कर लिए हैं महिला ने यह भी बताया कि उनकी बेटी का तीन बार ऑपरेशन हुआ लेकिन स्पाइनल कार्ड में दिक्कत की वजह से वो ठीक नहीं हो पाई। आंध्रा प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन से भी मिली लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई जिसके बाद मैने सुसाइड करने का प्रयास किया मीडिया के हस्तक्षेप के बाद सीएम ने मुझे आश्वासन दिया की मेरी बेटी को न्याय मिलेगा और उसकी प्रॉपर्टी वापस दिला दिया जाएगा।

 

आंध्र प्रदेश के सीएम से शिकायत के बाद जुल्म की इंतहा पार

लोकल पुलिस और नेताओं को जब मुख्यमंत्री से मिलने और शिकायत करने की जानकारी हुई तो मेरे ऊपर और जुल्म करने लगे। मुझे पागलखाने में रखकर पागल घोषित करने के लिए दवाईओं का डोज दिया गया। मुझे पागलखाने में इंजेक्शन देकर पागल बनाने का प्रयास किया गया। मुझे मेरे पति को और मेरी बेटी को पागलखाने भेज दिया गया जबकि हमलोग ठीक थे। मैं किसी तरह से आंध्र प्रदेश से भागकर काशी पहुंची पीएम मोदी से मिलने के लिए। वाराणसी के भेलुपुर स्थित मिनी पीएमओ के ऑफिस में पीएम से मिलने की गुहार लगाई लेकिन वहां से भी कोई रिस्पांस नहीं आया। मुझे डर है कि मेरे पति और बेटी की हत्या भी की जा सकती है।

रोते हुए महिला ने लगाई गुहार लेकिन कोई नहीं बना मददगार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रोते हुए महिला ने गुहार लगाई कि मेरी बेटी दिव्यांग है मैं नहीं रहूंगी तो मेरी बेटी को कौन संभालेगा। मुझे पीएम मोदी से मिलकर अपनी व्यथा बतानी है यही मेरी मांग है। लंबे समय से मिला भूखी प्यासी हालत में काशी पहुंची थी लेकिन आंसुओं से डूबी हुई महिला के चेहरे की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दे रहा था। एक तरफ नारियों का वंदन अभिनंदन किया जा रहा था वहीं दूसरी तरफ एक नारी अपनी व्यथा कहने के लिए पीएम से गुहार लगाती रही लेकिन महिला की फरियाद सुनने वाला कोई नहीं था।

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