पाक अगस्त से पहले कुलभूषण को फांसी नहीं चढ़ा पायेगा?

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कुलभूषण जाधव मामले में यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान अगस्त से पहले उसे फांसी नहीं चढ़ा पायेगा। कल हेग के अंतर्राष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) में पाकिस्तान के कबूलनामे के बाद यह बात सामने आयी है। भारत की ओर से दलीलें पेश किए जाने के बाद पाकिस्तान की बारी आई। पाकिस्तान जाधव के कबूलनामे का वीडियो दिखाना चाहता था। एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इंटरनेशनल कोर्ट ने पाकिस्तान को इसकी इजाजत नहीं दी। बता दें कि पाक ने पिछले साल जाधव की गिरफ्तारी के वक्त यह वीडियो जारी किया था।

पाकिस्तान इसे ही सबसे बड़ा सबूत बताकर पेश कर रहा था। यह वीडियो पूरी तरह फर्जी है क्योंकि 6 मिनट के फुटेज में 105 कट हैं। कबूलनामे को देखकर ऐसा लग रहा था कि जाधव टेलीप्रॉम्प्टर पर बयान पढ़ रहे हों। इस बीच, सुनवाई के दौरान पाकिस्तान ने यह साफ किया कि जाधव के पास अपील के लिए 150 दिन हैं। अगस्त तक उसे फांसी नहीं चढ़ाया जाएगा। यह भारत की दलीलों का ही असर था कि पाकिस्तान को इसे कुबूलना पड़ा है।

सोमवार को सुनवाई के दौरान भारत ने अदालत से अपील की कि वह जाधव की मौत की सजा को तत्काल रद करे। जाधव पाकिस्तान में सैन्य अदालत द्वारा सुनाई गई मौत की सजा का सामना कर रहे हैं। इस दौरान इस्लामाबाद को हालांकि उस समय जोरदार झटका लगा, जब उसने अंतर्राष्ट्रीय अदालत से जाधव के कबूलनामे का वीडियो चलाने की अनुमति मांगी, लेकिन अदालत ने अनुमति नहीं दी।

सोमवार को हुई सुनवाई के अंत में आईसीजे के अध्यक्ष रॉनी अब्राहम ने घोषणा की कि मामले में फैसला ‘यथासंभव जल्द से जल्द’ दिया जाएगा।

भारत की तरफ से प्रख्यात वकील हरीश साल्वे ने पक्ष रखा और मांग की कि भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव की मौत की सजा को पाकिस्तान रद्द करे और वह इस पर गौर करे कि उन्हें फांसी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि उनके मामले की सुनवाई विएना संधि का उल्लंघन करते हुए ‘हास्यास्पद’ तरीके से की गई है।

दूसरी ओर पाकिस्तान ने जाधव को जासूस बताने के लिए उनके कबूलनामे का वीडियो दिखाने की कोशिश की। लेकिन इंटरनेशनल कोर्ट ने पाकिस्तान के वकीलों को ऐसा करने से मना कर दिया।

पाकिस्तान यह जोर देता रहा कि जिस वियना संधि का हवाला देते हुए भारत जाधव की फांसी रोकने की मांग कर रहा है, वह संधि जासूसों के मामलों में लागू नहीं होती। और जाधव जासूस है, यह उसके वीडियो से साबित होता है।

बता दें कि पाकिस्तान वही वीडियो दिखाने पर जोर दे रहा था जिसमें प्रोफेशनल इंटेरोगेशन नहीं हुआ था। ऐसा लगता था कि इसे अलग-अलग एंगल से कैमरे और लाइटिंग अरेंजमेंट कर प्लानिंग के तहत शूट किया गया। वीडियो किसी इंटरव्यू की तरह लग रहा था। शायद इसे पाकिस्तान के किसी जर्नलिस्ट और कैमरामैन ने आईएसआई के सेफ हाउस में शूट किया था।

हेग में आईसीजे के अध्यक्ष रॉनी अब्राहम के समक्ष 90 मिनट की जिरह के दौरान तथ्यों को सामने रखते हुए साल्वे ने कहा, ‘मैं आईसीजे से आग्रह करता हूं कि वह सुनिश्चित करे कि जाधव को फांसी न दी जाए, पाकिस्तान इस अदालत को बताए कि (फांसी नहीं देने की) कार्रवाई की जा चुकी है और ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो जाधव मामले में भारत के आधिकारों पर प्रतिकूल असर डालता हो।’

उल्लेखनीय है कि आईसीजे ने भारत की एक याचिका पर पिछले सप्ताह जाधव की फांसी पर रोक लगा दी थी। पाकिस्तान के साथ किसी मुद्दे को लेकर भारत 46 वर्षो बाद अंतर्राष्ट्रीय अदालत पहुंचा है।

एक साल पहले गिरफ्तार किए गए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी को पाकिस्तान की एक सैन्य अदालत ने पिछले महीने मौत की सजा सुनाई थी। भारत ने कहा है कि जाधव का अपहरण किया गया और उनपर बेबुनियाद आरोप लगाए गए।

भारत ने जाधव को राजनयिक पहुंच प्रदान करने के लिए पाकिस्तान से 16 बार अनुरोध किया, लेकिन हर बार इस्लामाबाद ने इनकार कर दिया। भारत को यह तक पता नहीं है कि उन्हें पाकिस्तान में किस जेल में रखा गया है।

साल्वे ने जिरह में जाधव की गिरफ्तारी, उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल करने तथा मामले की सुनवाई से संबंधित तमाम कार्रवाई को विवेकशून्य तरीके से संयुक्त राष्ट्र के चार्टर तथा विएना संधि का उल्लंघन करार दिया और कहा कि मनगढ़ंत आरोपों के संदर्भ में उन्हें अपना बचाव करने के लिए कानूनी सहायता मुहैया नहीं कराई गई।

साल्वे ने कहा कि ‘मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत ने इस अदालत का रुख किया’, जिसने इसपर तत्काल संज्ञान लिया।

साल्वे ने अदालत से कहा कि 16 मार्च, 2016 को ईरान में जाधव का अपहरण किया गया और फिर पाकिस्तान लाकर कथित तौर पर भारतीय जासूस के तौर पर पेश किया गया और सैन्य हिरासत में एक दंडाधिकारी के समक्ष उनसे कबूलनामा लिया गया। उन्हें किसी से संपर्क नहीं करने दिया गया और सुनवाई भी एकतफा की गई।

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