सरकार के लिए टेढ़ी खीर बन सकता है वन नेशन – वन इलेक्शन, समझें संसद में क्यों आसान नहीं राह ?…
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की तरफ से आज संसद के शीतकालीन सत्र में ‘एक देश-एक चुनाव’ प्रस्ताव पेश किया गया है. दूसरी ओर संसद में इसको पास कराना NDA के लिए चुनौती बन गया है. इसे पास करने के लिए दो- तिहाई बहुमत की जरूरत है, लेकिन NDA के पास अभी सिर्फ 292 सीटें हैं, जबकि इसको पास कराने के लिए 362 सीटें की जरूरत होगी.
ONOE के खिलाफ है INDIA BLOCK …
बता दें कि ONOE के खिलाफ पूरा इंडिया ब्लॉक है. इतना ही नहीं इस बिल पर बनी रामनाथ कोविंद कमेटी को 47 राजनीतिक पार्टियों ने अपनी राय दी है, जिनमें से 32 दलों ने समर्थन किया था और 15 दलों ने इस बिल का विरोध किया. लोकसभा में विरोध करने वाले दलों के सांसदों की संख्या 205 है, जो कि संविधान संशोधन बिल पारित होने के लिए एक बड़ी रुकावट बन गई है. हालांकि सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है, लोकिन विपक्ष की एकजुटता देख ये होता दिख नहीं रहा है.
जानें क्या है सरकार की रणनीति ?…
सरकार बिल पर व्यापक सहमति बनाने और सलाह मशवरे की बात कह रही है. इसके लिए सरकार ने इसे JPC (Joint Parliamentary Committee) को भेजने का फैसला किया है. इस कमेटी का अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी का ही होगा और इसके सदस्यों की संख्या भी सबसे ज्यादा होगी. इस बिल पर बीजेडी ने भी कहा है कि इस पर व्यापक चर्चा होनी चाहिए.
आज संसद में पेश हुआ बिल….
बता दें कि आज संसद में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ‘एक राष्ट्र- एक चुनाव’ बिल को सदन में पेश किया. इसके बाद, वह स्पीकर ओम बिरला से अपील कर सकते हैं कि वे विधेयक को व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति को भेज दें.
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क्या है नया बिल ?…
13 दिसंबर को जारी की गई बिल की प्रति के मुताबिक एक देश में एक ही चुनाव कराया जाएगा. अगर लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही भंग हो जाती है, तो उस विधानसभा के लिए सिर्फ पांच साल में से बचे कार्यकाल पूरा करने के लिए ही उप-चुनाव कराए जाएंगे.
बिल के अनुच्छेद 82(A) (लोकसभा और सभी विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव) जोड़ने और अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि), 172 और 327 (विधानसभाओं के चुनावों के संबंध में प्रावधान करने की संसद की शक्ति) में संशोधन करने का सुझाव दिया गया है. इसमें कहा गया है कि संशोधन के प्रावधान एक नियत तिथि से प्रभावी होंगे, जिसे राष्ट्रपति आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक में अधिसूचित करेंगे.