सियासत के बीच गुम हो गया विकास !

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यूं तो विकास शब्द और राजनीति का चोली दामन का साथ हैं। सिर्फ विकास शब्द से ही ब़ड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी पार्टी को जीताने और हराने में बहुत बड़ा हाथ होता हैं। आजकल ये शब्द किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं हैं। विकास शब्द की चर्चा बड़े जोरो शोरों से चल रही हैं। इसके पीछे और कोई नहीं कांगेस के युवराज राहुल गांधी का हैं। आइये आपको बताते हैं क्या हैं पूरा मामला।

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पागलपंथी की कहानी एक दिलचस्प फेसबुक पोस्ट से शुरू हुई

असल में मामलें की शुरुआत ऐसे हुई कि राहुल गांधी गुजरात दौरे के दौरान बोला कि विकास पागल हो गया है यहीं से ही ये छोटा सा शब्द ने सत्ता का समीकरण ही बदल डाला। शब्द में बड़ी ताकत होती है और कई बार एक छोटा सा शब्द सत्ता के समीकरण को बदलकर रख देता है।  गुजरात में इस वक्त यही कुछ होता दिख रहा है। गुजरात जुबां का गोडो थई छो हिंदी में आकर हो जाता है- विकास पागल हो गया है!विकास के जिस पागलपन का जिक्र करके कांग्रेस और दूसरे दल बीजेपी पर निशाना साध रहे हैं, उस विकास के पागलपंथी की कहानी एक दिलचस्प फेसबुक पोस्ट से शुरू हुई।

वही रहिए क्योंकि विकास पागल हो गया है…

20 साल के सागर सावलिया नाम के एक लड़के ने फेसबुक पर एक सरकारी बस और टूटे हुए टायर की तस्वीर डालते हुए लिखा था, ’सरकारी बसें हमारी हैं, लेकिन इनमें चढ़ने के बाद आपकी सुरक्षा की जिम्मेदारी आपकी है। जहां हैं, वही रहिए क्योंकि विकास पागल हो गया है।

विकास पागल हो गया है और धीरे धीरे विनाश का रुप ले रहा है

इसके बाद लोग ‘विकास पागल हो गया’ के कैप्शन के साथ गुजरात की बदहाली की तस्वीर पोस्ट करने लगे और उनमें होड़ सी मच गई कि कौन कितने मजेदार तरीके से विकास को पागल साबित कर सकता है। ‘’गुजरात का विकास अब पागल हो गया है। आईए भावनगर रेलवे स्टेशन में सफर करने नहीं स्विमिंग करने।’’‘’पेट्रोल का भाव जुलाई से अगस्त में 73 रुपये से 99 रुपये हो गया दिसम्बर तक 100 रुपया हो सकता है क्योंकि विकास पागल हो गया है। रुक ही नहीं रहा है।’’प्लैटफॉर्म टिकट 20 रुपए कर दिया गया क्योंकि विकास पागल हो गया है और धीरे धीरे विनाश का रुप ले रहा है।’’

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बीजेपी सरकार से बदला चुकाने की पूरी कोशिश की है

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे ऐसे ट्वीट और फेसबुक पोस्ट ने विरोधियों को बीजेपी सरकार पर निशाना साधने के लिए बैठे बिठाए एक अच्छा मौका दे दिया। गुजरात दौर पर पहुंचे राहुल गांधी ने भी बीजेपी सरकार पर निशाना साधने के लिए पागल विकास का ही सहारा लिया। राहुल ने कहा, ‘’विकास को क्या हो गया है? जवाब भीड़ ने गुजराती जुबान में कहा ‘गाडो थई छो’ यानी पागल हो गया है।’’ मौका देखकर चौका लगाने में शिवसेना भी नहीं चूकी। उसने अपने मुखपत्र सामना में इसी विकास का जिक्र करते हुए बीजेपी सरकार से बदला चुकाने की पूरी कोशिश की है।

पागलपन को लेकर बीजेपी दोहरी मार झेल रही है

गुजरात के विकास का क्या हुआ? ‘ये पुछते ही विकास पागल हो गया है’ ऐसा खुद गुजरात की जनता कह रही है। सिर्फ गुजरात ही क्यों पूरे देश में विकास पागल हो गया है कि तस्वीर खुद भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सामने ला रहे हैं। राहुल गांधी ने बड़ी समझदारी भारी टिप्पणी की है कि विकास के बारे में कुछ लोगों ने बड़ी गप हांकी इसलिए विकास पागल हो गया होगा। ईवीएम मशीन में घोटाला करके और पैसों का इस्तेमाल करके चुनाव जीत लिया तो विकास हो गया, ऐसा कुछ लोगों को लगता है, लेकिन विकास की अवस्था विकट हो गई है। विकास के तथाकथित पागलपन को लेकर बीजेपी दोहरी मार झेल रही है।

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कम से कम गुजरात में विकास पर बात तो हो रही है

एक तरफ आम लोग इसपर चुटकी ले रहे हैं, दूसरी तरफ विपक्षी दल इसे चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रहे हैं। गुजरात में बीजेपी के लिए सिरदर्द बने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने भी इस मुद्दे को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है‘’आज नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री है। फिर भी गुजरात में किसान औऱ व्यापारी परेशान हैं। दलितों पर लगातार हमले हो रहे हैँ। पाटीदार अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत है। फिर कैसा विकास हुआ?’’बीजेपी के बड़े नेता विकास पागल हो गया है स्लोगन से खासे परेशान दिख रहे हैं। गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष जीतू वाघाणी से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘’कम से कम गुजरात में विकास पर बात तो हो रही है।

गुजरात की जुबां जुबां पर चढ़ा हुआ है

कांग्रेस शासन वाले राज्यों में तो केवल भ्रष्टाचार की ही चर्चा होती है।’’गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष की ये बात सौ फीसदी सही है कि पिछले 19 साल से इसी विकास शब्द के दम पर बीजेपी ने गुजरात में सरकार बनाई और शासन किया लेकिन नरेंद्र मोदी के केंद्र में जाने के बाद अब गुजरात का वही विकास सवालों के घेरे में है। केवल विपक्षी दल विकास के पागल होने की बात करते तो बीजेपी शायद उतना परेशान नहीं होती। लेकिन इस बार आम आदमी के साथ साथ खुद उसके लोग भी सरकार के विकास के दावे पर सवाल उठाने लगे हैं। यशवंत सिन्हा बीजेपी नेता हैं, वहीं आरएसएस के थिंक टैंक में शामिल गुरूमूर्ति लंबे समय से बीजेपी की आर्थिक नीतियों पर नजर बनाये हुए हैं। शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र में सरकार की सहयोगी पार्टी है लेकिन ये सभी विकास के बारे में वही कह रहे हैं जो गुजरात की जुबां जुबां पर चढ़ा हुआ है।

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