सिर्फ इंसान ही नहीं, पक्षी भी करते हैं सुसाइड, जानें भारत की इस रहस्यमयी जगह के बारे में
इंसानों में आत्महत्या करने की प्रवृति तो आम बात हैं, लेकिन पक्षियों के लिए ये अलग बात है। भारत के पूर्वोत्तर में सबसे बड़े राज्य असम में एक ऐसा गांव हैं, जहां हर साल हजारो की तादाद में पक्षी खुदकुशी कर लेते है. असम के दिमा हासो जिले की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी पक्षियों के सुसाइड पॉइंट के लिए काफी मशहूर है. यहां हर साल सितंबर के महीने में पक्षी आत्महत्या कर लेते है. क्या आप जानते है ऐसा क्यों होता हैं? तो आइए आपको बताते हैं.
जतिंगा द वैली ऑफ डेथ…
दक्षिणी असम के दीमा हसाओ जिले की पहाड़ी घाटी में स्थित जतिंगा एक ऐसा गांव है, जो अपनी प्राकृतिक अवस्था के चलते साल में करीब 9 महीने तक बाहरी दुनिया से अलग रहता है. लेकिन सितंबर माह की शुरुआत से ही यह गांव खबरों में छा जाता है. यह जगह भारत की 10 सबसे रहस्यमयी जगहों में से एक है। क्योंकि इसके पीछे की वजह पक्षियों की आत्महत्या है. हां, अलग-अलग हिस्सों से पक्षी हर साल इस गांव में प्रवास या सहवास के लिए नहीं बल्कि आत्महत्या करने आते हैं.
सितंबर से नवंबर के बीच सैकड़ों पक्षी इस गांव में उड़कर आते हैं और यहां आत्महत्या कर लेते हैं. विभिन्न पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ जैसे किंगफिशर, टाइगर बिटर्न, ब्लैक बिटर्न, पॉन्ड हेरोन, इंडियन पिट्टा, लिटिल एग्रेट, ग्रीन पिजन, ब्लैक ड्रोंगो, एमराल्ड डव और कई अन्य पक्षी इस गांव में उड़ते हैं और मर जाते हैं. यही कारण है कि यह गांव मौत की घाटी के नाम से प्रसिद्ध है.
जानें इस डरावनी घटना के पीछे का रहस्य…
-स्थानीय लोगों के अनुसार, हवाओं में कोई रहस्यमयी ताकत आ जाती है,जो पक्षियों को ऐसा करने पर विविश करती है. इस दौरान इंसानों का अपने घर से बाहर निकलना भी खतरें से खाली नहीं होता है.
-हर साल सितंबर-अक्तूबर के दौरान जतिंगा की सड़कें शाम के समय एकदम सुनसान हो जाती हैं.
-पक्षी विशेषज्ञों के अनुसार, चुंबकीय ताकत इस घटना का कारण है.
-जब कोहरा घना होता हैं और मौसम में नमी रहती हैं उस वक्त हवाएं तेजी से बहती हैं, जिसकी वजह से रात के अंधेरे में पक्षी रोशनी के आसपास उड़ने लगते हैं.
-लेकिन रोशनी कम होने के कारण उन्हें साफ दिखाई नहीं देता है, जिसके कारण पक्षी किसी इमारत, पेड़ या वाहनों से टकरा जाते हैं. ऐसे में जतिंगा गांव में शाम के वक्त गाड़ियां चलाने पर मनाही हो गई हैं ताकि रोशनी न हो. हालांकि, इसके बावजूद भी पक्षियों की मौत लगातार हो रही है.
-ये पक्षी शाम 7 से रात 10 बजे के बीच ही ऐसा करते हैं, जबकि आम मौसम में इन पक्षियों की प्रवृति दिन में ही बाहर निकलने की होती है और रात में वे घोंसले में लौट जाते हैं.
-आत्महत्या की इस रेस में स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की करीब 40 प्रजाति शामिल हैं. प्राकृतिक कारणों से जतिंगा गांव नौ महीने बाहरी दुनिया से अलग-थलग ही रहता है. इतना ही नहीं, जतिंगा घाटी में रात में प्रवेश करना प्रतिबंधित है.