NGT: कछुआ सेंक्चुरी हटाने वालों पर दर्ज हो मुकदमा

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NGT: वाराणसी में गंगा किनारे टेंट सिटी बसाने और कछुआ सेंक्चुूरी को गैर-कानूनी तरीके से हटाने के मामले की मंगलवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की पीठ के समक्ष सुनवाई हुई. इस दौरान न्यायमूर्ति ने सख्त टिप्प्णी करते हुए कहा कि कछुआ सेंक्चुरी हटाने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होना चाहिये.

न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने कहा कि गंगा किनारे कुछ लोगों को शाही टेंट में ठहराने के लिए कछुओं और जलीय जीवों को मार दिया. किसी को इसे विस्थापित करने का अधिकार नहीं है. सुनवाई के दौरान एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से कहा कि आपके ऊपर कछुओं और जलीय जीवों के संरक्षण की जिम्मेदारी है और आप ही उनको नष्ट कर रहे हैं. कछुए 50 हों, 100 हों या 1000 जितने भी मरे, यह क्रूरता है. केवल सेंक्चुरी की सीमा में परिवर्तन किया जा सकता है. उत्तरप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने टेंट सिटी बसाने वाली कंपनियों से जुर्माना वसूलने के लिए जिलाधिकारी वाराणसी के पत्र भेजा है.

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एनजीटी ने की सख्त टिप्पणी

एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल ने पर्यावरण मंत्रालय से सवाल किया. पूछा कि बिना केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुमोदन और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के कछुआ अभयारण्य क्यों हटाया गया. एनजीटी ने कहा जिन सरकारी लोगों ने इस कछुआ अभयारण्य को हटाया, क्यों ना उनके विरुद्ध क्रूरता का मामला दर्ज किया जाए. पर्यावरण मंत्रालय के अधिवक्ता से पूछा कि कछुओं को आपने शिफ्ट कैसे किया? इसका कोई जबाब नहीं मिला. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के तरफ से अधिवक्ता सौरभ तिवारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शामिल हुए.

 

 

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