Uttarakhand Ucc: यूसीसी बिल पर उत्‍तराखंड विधानसभा में बहस जारी, जानें लागू होने पर क्‍या होगा

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Uttarakhand Ucc: उत्तराखंड विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट यानी यूसीसी बिल पर कल साढे चार बजे तक सत्ता पक्ष और विपक्ष में बहस जारी रही. मंगलवार को उत्तराखंड की धामी सरकार ने सदन में यूसीसी बिल को पेश किया था. बीजेपी विधायकों ने बिल को ऐतिहासिक करार देते हुए पीएम मोदी और सीएम पुष्कर सिंह धामी की तारीफ की है. कांग्रेस ने कहा है कि, ”यूसीसी विधेयक को प्रवर समिति के हवाले किया जाना चाहिए ताकि उसमें सुधार किया जा सके. बिल सदन में पेश होने के बाद देर शाम तक इस चर्चा हुई.”

बिल लागू होने बाद उत्तराखंड में शादी के सभी कानून, प्रथाएं और रूढ़ियां निष्प्रभावी हो जाएगी. शादी, लिव-इन-रिलेशनशिप और तलाक का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. कोई भी एक पति या पत्नी के रहते दूसरी शादी नहीं कर पाएगा. लिव-इन-रिलेशनशिप से पैदा हुआ बच्चा वैध मना जाएगा, इसके साथ ही संपत्ति में बेटियों को बराबर का अधिकार मिलेगा. वही उत्तराधिकारी के नियम पर कड़े कर दिए गए है. विधानसभा में सीएम धामी ने 202 पेज का बिल पेश किया था, इसको लेकर जानकारो का कहना है कि, इस बिल के लागू होने के बाद उत्तराखंड में शादी के अन्य सभी कानून, रूढिया या प्रथाए खुद ही निष्प्रभावी हो जाएगी. यह कानून राज्य से बाहर रहने वाले उत्तराखंड के सभी नागरिकों पर भी लागू होगा. अनुसूचित जनजाति के लोगो और समूहो पर यह कानून लागू नहीं होगा.

कानून के उल्लघंट पर चुकाना होगा भारी जुर्माना

नए कानून में सभी शादियों का रजिस्ट्रेशन अनुवार्य कर दिया गया है. लिव-इन- रिलेशशिप के लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया गया है. आपसी सहमति से भी तलाक हो सकेगा. शर्त यह होगी कि, शादी को एक साल से अधिक समय हो चुका होना चाहिए. इसका उल्लंघन करने पर 50 हजार का जुर्माना और छह माह की सजा हो सकती है. हलाला जोसे मामलों में तीन वर्ष की सजा और एक लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है. इस सज्ञेय अपराध में शामि कर दिया गया है.

इस कानून में प्रतिबंधित नातेदारी की सूची भी शामिल की गई है . इसमें महिला और पुरूष की 37-37 श्रेणियों को शामिल किया गया है, यानी इनके बीच आपस में शादी नहीं हो सकेगी. एक से अधिक शादी पर रोक लगाई गई है. उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने पर बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी. इसमें हिंदू हो या मुस्लिम, सभी धर्म और संप्रदायों को समान अधिकारी दिए गए है.

प्रदेश में भारी पुलिस बल तैनात

आज सदन के दूसरे दिन भी यूसीसी पर बहस जारी रहने वाली है, ऐसे में प्रदेश में माहौल बिगड़ने की संभावना के चलते प्रदेश के सभी संवेदनशील स्थानों पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. वही हल्द्वानी में भी काफी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात रही. हरिद्वार शहर के बनभूलपुरा से लेकर जवाहर नगर तक लगातार दिन भार फोर्स का मूवमेंट कराया जाएगा.

कानून लागू होने पर किन चीजो पर पड़ेगा असर

इन नियमों का करना होगा पालन

-सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की आयु 18 साल और लड़को की आयु 21 साल रहेगी
-पुरुष-महिला को मिलेगा तलाक का समान अधिकार
-लिव-इन-रिलेशशिप डिक्लेयर करना जरूरी होगा
-लिव-इन-रिलेशशिप का रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 6 महीने की सजा होगी
-लिव-इन-रिलेशशिप में पैदा हुआ बच्चा वैध होगा
-लिव-इन-रिलेशशिप में पैदा हुआ बच्चे का संपत्ति का समान अधिकार होगा
-महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं होगी
-अनुसूचित जनजाति के लोगों को इस दायरे से बाहर रखा गया है.
-एक से अधिक शादी पर रोक
-शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा, बिना रजिस्ट्रेशन सरकारी सुविधा नहीं मिल पाएगी
-उत्तराधिकारी में लड़कियों को भी बराबर का हक मिलेगा

इन नियमों में बदलाव नहीं

-किसी की धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा
-धार्मिक रीति-रिवाज पर भी कोई असर नहीं पड़ेगा
-ऐसा नहीं है कि,शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएगा
-खान-पान,पूजा- इबादत, वेशभूषा पर कानून का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा

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मुस्लिम लॉ बोर्ड ने क्यों जताई आपत्ति?

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी AIMPLB ने समान नागरिक संहिता पर सवालिया निशान लगाया है, जिसे उत्तराखंड सरकार ने विधानसभा में पेश किया था. बोर्ड की कार्यकारी समिति के सदस्य खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि, मूल रूप से इस तरह के समान नागरिक संहिता को कोई मतलब नहीं है, जब आप खुद कह रहे है कि, कुछ समुदायों को अधिनियम से छूट दी जाएगी तो एकरुपता कहां है.

 

 

 

 

 

 

 

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