कुलभूषण मामले में आगे क्या?

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यह सवाल बार-बार यह पूछा जा रहा है कि कुलभूषण जाधव मामले में भारत को कितनी कामयाबी मिल पायेगी? कहीं अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट में भारत का जाना बेकार तो नहीं चला जायेगा? ऐसे अनेकों सवाल हैं जो जानकार एक दूसरे से पूछ रहे हैं पर किसी को भी इसका उत्तर नहीं मिल रहा है।

इस बारे में न सिर्फ भारतीय बल्कि पाकिस्तानी वकीलों की राय भी बंटी हुई मालूम पड़ती है। इसे इस रूप में कहें कि कुलभूषण जाधव का मामला भारतीय डिप्लोमेसी के लिए भी बड़ी चुनौती बन गया है। कारण इसका एक ही है कि यह भारत-पाक संबंध ही नहीं पूरे एशिया के शक्ति संतुलन पर भी गंभीर असर डाल रहा है।

यहां यह जानना जरूरी है कि कुलभूषण जाधव क्या हैं? जाधव भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं व उन्हें जासूसी करने के आरोप में पिछले महीने पाकिस्तानी सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। जिस तरह इस मामले में फैसला हुआ, उस पर भारत ने आपत्ति जताई और फैसले के खिलाफ इंटरनैशनल कोर्ट आॅफ जस्टिस में अपील की।

पाकिस्तान ने जो कुटिल चाल चली उसमें भारत के सामने अंतरराष्ट्रीय अदालत में जाने के सिवा और कोई रास्ता भी नहीं बचा था। पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया और न ही उन्हें भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों से मिलने की इजाजत दी। जाधव के लिए 16 बार काउंसलर एक्सेस की मांग की गई लेकिन पाकिस्तान ने हर बार इसे नकार दिया।

अब पाकिस्तान कह रहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं है, लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान विएना संधि के तहत इस न्यायालय के आदेश को मानने के लिए बाध्य है।

वैसे अधिकांश कानूनविद चाहे वे पाकिस्तानी हों या फिर भारतीय, उनका यही कहना है कि अगर पाकिस्तान अदालत के सामने पेश नहीं हुआ तो इससे उसके लिए समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। एक बात और है कि बिना दोनों देशों की सहमति के अंतराराष्ट्रीय कोर्ट से कोई रास्ता भी नहीं निकल सकता है।

कुछ अन्य कानूनविद मानते हैं कि कुलभूषण की सजा पर सुनवाई के मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट कोई विकल्प नहीं हो सकता। इससे स्पष्ट है कि जब तक दोनों देश इस पर सहमत नहीं होते हैं, तब तक सुनवाई संभव नहीं है। मगर एक बात सभी मानते हैं कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय अदालत के सामने अपना पक्ष रखना होगा। अगर उसने ऐसा नहीं किया और पाकिस्तान कोर्ट के सामने पेश नहीं हुआ तो स्वयं उसके ही सामने बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है।

हमें एक चीज यह भी माननी होगी कि अगर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का फैसला पाकिस्तान के खिलाफ आता है, फिर भी पाकिस्तान न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करता है, तो इसको लागू कराने के लिए न्यायालय के पास कोई शक्ति नहीं है। वह फैसले को लागू कराने के लिए सिर्फ 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद से सिफारिश भर कर सकता है, लेकिन इसमें पेंच है।

इसके लिए पांचों स्थायी सदस्यों और कम से कम चार अस्थायी सदस्यों की मंजूरी जरूरी है। सुरक्षा परिषद की मंजूरी के बाद पाकिस्तान के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन पूरी संभावना है कि चीन सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान का बचाव करेगा। वह इस पर वीटो का भी इस्तेमाल कर सकता है। इसलिए जानकार बता रहे हैं कि बेहतर यही होगा कि हम विश्व बिरादरी के सामने इस बात को उजागर करते रहें कि जाधव के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।

खुद पाकिस्तान सरकार के सलाहकार सरताज अजीज ने पाकिस्तानी सीनेट को पहले बताया था कि जाधव के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं हैं। यह अलग बात है कि बाद में वह अपने इस बयान से पलट गए। जाधव के कथित कबूलनामे के जिस विडियो को सबसे खास सबूत बताया गया है, उसमें 29 कट हैं, जो विडियो के साथ छेड़छाड़ किए जाने की तरफ संकेत करते हैं। अंतर्राष्ट्रीय अदालत हो या विश्व फोरम हमें कूटनीतिक विकल्पों को बराबर आजमाते रहना होगा। कुलभूषण मामले में यही जीत का आधार बनेगा।

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