Navrartri Special: मां शैलपुत्री से जुड़ी कुछ रोचक बातें जिन्हें जानना है बेहद जरूरी

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Navrartri Special: आज से नवरात्रि के शुभ पर्व की शुरूआत हो रही है. आज के दिन देवी की कलश स्थापना होती है. आज मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है. मान्यता है की मां शैलपुत्री के दर्शनमात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. आइए हम आपको बताते हैं कि क्यों कहलाई मां शैलपुत्री और इसके साथ ही जानेंगे पूजा की विधि और भी बहुत कुछ.

शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व

नवरात्रि के प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है. मां शैलपुत्री, देवी दुर्गा के नौ रूपों में से पहला रूप हैं और इनकी आराधना से नवरात्रि की शुरुआत होती है. शैलपुत्री का अर्थ है ‘पर्वतों की पुत्री’, जो हिमालय की बेटी हैं और भगवान शिव की पत्नी के रूप में भी पूजी जाती हैं.

मां शैलपुत्री का पुनर्जन्म

मां शैलपुत्री की कथा पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां शैलपुत्री पूर्व जन्म में सती के रूप में जन्मी थीं. उन्होंने अपने पति भगवान शिव के अपमान पर आत्म-दाह कर लिया था. अगले जन्म में, वे हिमालय पर्वत के घर जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं. उन्होंने कठोर तपस्या की और फिर से भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया.

क्या है शैलपुत्री की पूजा विधि

पूजा विधि मां शैलपुत्री की पूजा में विशेष रूप से सफेद रंग का प्रयोग होता है. उन्हें सफेद फूल, सफेद वस्त्र और गाय के देसी घी का भोग लगाया जाता है. पूजा के दौरान मां के मंत्रों का जाप किया जाता है और उनकी आरती गाई जाती है.

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वाराणसी में मां शैलपुत्री का महत्व

मां शैलपुत्री की पूजा से भक्तों को धैर्य और दृढ़ता प्राप्त होती है. उनकी आराधना से जीवन में स्थिरता और शांति आती है. यह दिन योग साधना की शुरुआत का प्रतीक भी माना जाता है. इस प्रकार, नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से नवरात्रि के पवित्र पर्व की शुरुआत होती है, जो भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा और शक्ति प्रदान करती है.

 

written by – Tanisha Srivastava

 

 

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