यूपी : 2019 की दिशा तय करेगा निकाय चुनाव !

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उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव की रणभेरी बज गयी है। इस बार नगर निकाय चुनाव कई मायनों में अहम है। 2019 के आम चुनाव से पहले यह चुनाव सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। तो दूसरी ओर योगी सरकार के 8 महीने के कार्यकाल का लिटमस टेस्ट भी है। क्या विधानसभा चुनाव में बीजेपी को दिल खोलकर वोट देने वाली यूपी की जनता योगी सरकार के काम से संतुष्ट है। इन सारे सवालों का जवाब एक दिसंबर को मिल जाएगा।
16 निगमों में दांव पर बीजेपी की प्रतिष्ठा
नगर निकाय चुनाव का बिगुल बज चुका है। तीन चरणों में होने वाले नगर निकाय के चुनाव में 16 नगर निगमों, 199 नगर पालिका, 428 नगर पंचायत और 11 हजार 300 वार्डों में होने है। 2012 के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी ने 12 नगर निगमों में से 10 पर कब्जा जमाया था। वहीं दो नगर निगमों में चुनाव ही नहीं हुआ था। जबकि 2 नगर निगमों का इस बार गठन हुआ है।
ऐसे में इस बार निकाय की लड़ाई दिलचस्प होने वाली है। 2012 के निकाय चुनाव में लखनऊ, गोरखपुर, कानपुर, मेरठ, आगरा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, वाराणसी, अलीगढ़ और झांसी नगर निगम में बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। तो बरेली नगर निगम सपा के खाते में गयी थी। जबकि इलाहाबाद नगर निगम से बीएसपी प्रत्याशी अभिलाषा गुप्ता नंदी ने जीत दर्ज की थी।
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जो मौजूदा समय योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी की पत्नी हैं। वहीं सहारनपुर और फिरोजाबाद नगर निगम में चुनाव नहीं हुआ था। जबकि इस बार अयोध्या और मथुरा- वृंदावन दो नगर निगम का गठन हुआ है।
लोकसभा चुनाव से पहले जनता की अदालत में बीजेपी
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में निकाय चुनाव सबसे बड़ा चुनाव है। ये चुनाव 2019 को लेकर जनता के मूड की ओर इशारा करेगा। कि आखिर मोदी और योगी सरकार के काम से यूपी की जनता कितना संतुष्ट है। कहीं ना कहीं इस चुनाव का असर सीधे लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। इसलिए ये चुनाव बीजेपी के लिए कितना अहम है। अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए बीजेपी इस चुनाव को लेकर कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसलिए पार्टी जिताऊ उम्मीदवार पर ही दांव लगाने जा रही है।
सपा, बीएसपी और कांग्रेस के लिए अहम निकाय चुनाव
निकाय चुनाव बीजेपी के लिए ही नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी, बीएसपी और कांग्रेस के लिए भी अहम है। विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही समाजवादी पार्टी इस चुनाव में वापसी करना चाहेगी। वहीं सबकुछ गवां चुकी बीएसपी भी पहली बार निकाय चुनाव में अपना दम दिखाएगी। जिसका सीधा असर बीजेपी पर पड़ सकता है। वहीं यूपी में आखिरी सांस ले रही कांग्रेस के लिए ये चुनाव काफी अहम है। अगर कांग्रेस कुछ सीटों पर जीत दर्ज करती है तो ये उसके लिए संजीवनी का काम करेगी।
2019 में किसके हाथ होगी देश की सत्ता ?
बहरहाल निकाय के रण में किसका सिक्का चलेगा और कौन मात खाएगा इसका फैसला तो 1 दिसंबर को हो जाएगा। लेकिन इतना साफ है कि रिजल्ट जो भी हो। यूपी का निकाय चुनाव देश की दशा और दिशा तय करेगा। कि आखिर 2019 में देश की सत्ता किसके हाथ में होगी।

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