मुंबई हाइकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा को दी जमानत, जानें केस से जुड़ी अहम बातें

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बहुचर्चित मालेगांव बम धमाके में आरोपी रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को मुंबई हाइकोर्ट ने 5 लाख के निजी मुचलके पर जमानत दे दी है।बता दें कि इससे पहले जांच एजेंसी एनआईए ने भी अपनी जांच के बाद क्लीन चिट दे चुकी थी। लेकिन ट्रायल कोर्ट साध्वी की जमानत खारिज कर चुकी है। जांच एजेंसी का कहना है कि साध्वी पर केस चलाने के लिए सबूत नहीं हैं। आइये आप को बताते हैं इस केस से जुड़ी अहम बातें…

एनआईए के मुताबिक- जिस LML freedom मोटर साइकिल की वजह से साध्वी को आरोपी बनाया गया है वह  जरूर साध्वी के नाम पर थी, लेकिन धमाके के बहुत पहले से फरार आरोपी राम जी कालसांगरा उसे इस्तेमाल कर रहा था। इसके अलावा आरोपी सुधाकर द्विवेदी से बम प्लांट करने के 2 फरार आरोपी रामजी कालसांगरा और संदीप डांगे को मिलाने और उसके जरिये कर्नल प्रसाद पुरोहित से आरडीएक्स मंगाने के लिए कहने का बयान देने वाले गवाह अपने पुराने बयान से मुकर चुके हैं।

चूंकि मामले पर मकोका नहीं बनता इसलिए उनका पहले वाला इकबालिया बयान अदालत में सबूत नहीं माना जाएगा। हालांकि मामले पर अब भी मकोका बरक़रार है, जबकि कर्नल प्रसाद पुरोहित के बारे में एनआईए की राय अलग है। मई 2016 में अपनी चार्जशीट में एनआईए ने कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को धमाकों की साजिश के प्रमुख आरोपियों में से एक बताया है।

एनआईए के मुताबिक- कर्नल ने ही साल 2006 में अभिनव भारत संगठन की स्थापना की। संगठन के नाम पर बड़े पैमाने पर धन इकट्ठा किया और उसके जरिए हथियार और बारूद की व्यवस्था की। 25 और 26 जनवरी 2008 को फरीदाबाद की मीटिंग में कर्नल ने अलग हिन्दू राष्ट्र के संविधान और केसरिया झंडे का प्रस्ताव रखा था। उस मीटिंग में मुस्लिमों से बदला लेने पर भी चर्चा हुई थी।

उसके बाद अप्रैल 2008 में भोपाल में हुई गुप्त बैठक में मालेगांव में बम धमाका कराने की चर्चा हुई। एफएसएल की रिपोर्ट में आरोपी सुधाकर द्विवेदी के लैपटॉप में रिकॉर्ड साजिश की मीटिंग की आवाज कर्नल पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी और रमेश उपाध्याय की आवाज होने की पुष्टि हुई है।

धमाके के बाद कर्नल पुरोहित और रमेश उपाध्याय की बातचीत भी इंटरसेप्ट हुई है, जिसमें कर्नल बातचीत के लिए उपाध्याय को अलग सिम कार्ड लेने के लिए कह रहे हैं और बातचीत के दौरान सावधान रहने को कह रहे हैं, जो उनके मन मे छुपे अपराधबोध को बताता है।

प्रज्ञा ठाकुर की गिरफ्तारी के बाद कर्नल पुरोहित ने आरोपी समीर कुलकर्णी को एसएमएस कर बताया था कि पुणे में उसके घर पर एटीएस आई थी। कर्नल ने उसे तुरंत टेलीफोन से सभी नबंर को डिलीट कर भोपाल छोड़ने को कहा था। कर्नल पर धमाके के लिए आरडीएक्स के इंतजाम और सप्लाई का भी आरोप है।

29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग घायल हुए थे। महाराष्ट्र एटीएस ने अपनी जांच में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 11 लोगो को गिरफ्तार किया था। बाद में जांच एनआईए को दे दी गई।

एनआईए ने अपनी जांच के बाद 13 मई 2016 को दूसरी सप्लिमेंट्री चार्जशीट में मामले में मकोका लगाने का आधार नहीं होने की बात कह साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित 6 लोगों के खिलाफ मुकदमा चलने लायक सबूत नहीं होने दावा किया था। जबकि कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित 10 लोगों के खिलाफ धमाके की साजिश, हत्या, हत्या की कोशिश, आर्म्स एक्ट, एक्सप्लोसिव एक्ट और यू ए पी ए के तहत मुक़दमा चलाने लायक सबूत होने का दावा किया था। यह अलग बात है कि ट्रायल कोर्ट एनआईए की राय से सहमत नहीं दिखी, जिसके बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और कर्नल पुरोहित ने बॉम्बे हाई कोर्ट में जमानत अर्जी दी थी।

हाई कोर्ट में भी जांच एजेंसी एनआईए ने साध्वी की अर्जी पर कोई आपत्ति नहीं दिखाई, लेकिन कर्नल पुरोहित की अर्जी का विरोध किया है। अदालत में सुनवाई के दौरान साजिश की मीटिंग की वह सीडी भी टूटी पाई गई, जिसमें साध्वी के होने का दावा किया गया था। सुनवाई पिछले महीने ही पूरी हो गई थी।

 

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