PM के हाथों आज पुरस्कृत होगा सिद्धार्थनगर का मॉडल गांव
उत्तर प्रदेश की 59163 ग्राम पंचायतों में से एक है सिद्धार्थनगर जिले का हसुड़ी औसानपुर। देश के अति पिछड़े 101 जनपदों में शुमार होने के बावजूद इस गांव के युवा प्रधान ने एक ऐसी लकीर खींचने की कोशिश की है जो पूरे देश की ग्राम पंचायतों के लिए एक नजीर है। उनके प्रयासों की ही देन है जो महज 35 माह में ही पूरा गांव मुस्कुरा रहा है। इसकी हर गली विकास की एक नई कहानी बयां कर रही है।
यह प्रदेश का इकलौता गांव है
उनकी इस उपलब्धि के लिए मंगलवार को पंचायती राज दिवस पर मध्य प्रदेश के मांडला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों पंडित दीन दयाल पंचायत सशक्तीकरण एवं नानाजी देशमुख गौरव ग्राम पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। अब तक देश की किसी भी ग्राम पंचायत को दोनों पुरस्कार एक साथ नहीं मिले हैं। गौरव ग्राम पुरस्कार पाने वाला यह प्रदेश का इकलौता गांव है।सीसीटीवी, वाई-फाई, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, डिजिटल मैप, वेबसाइट व जियोग्राफिकल इनफार्मेशन सिस्टम आदि से लैस होने वाला यह शायद देश का पहला गांव है।
गांव में आकर जयपुर जैसा एहसास होता है
जिले के भनवापुर ब्लाक स्थित इस गांव की उम्र तीन साल से भी कम है। 2015 के पंचायत चुनाव से पहले यह ग्राम पंचायत अस्तित्व में नहीं थी। इन तीन सालों में इस गांव ने युवा प्रधान दिलीप त्रिपाठी की अगुआई में अभूतपूर्व प्रगति की है। महज 1024 आबादी वाला यह गांव प्रधानमंत्री के डिजिटल इंडिया के सपनों में रंग भरने का काम कर रहा है।गुलाबी रंग में रंगे इस गांव में आकर जयपुर जैसा एहसास होता है।
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दीवारों पर बने चित्र लोगों को स्वच्छता आदि के प्रति प्रेरित कर रहे हैं। गुजरात के साबरकांठा जिले के पुंसरी गांव से प्रेरणा लेकर आज यह गांव उससे भी आगे निकल चुका है। 23 सीसीटीवी कैमरे गांव की हर गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं। इनको पुलिस कंट्रोल रूम से भी लिंक किया जा रहा है।
निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी ने इसे गोद ले लिया है
इसके अलावा 24 पब्लिक एड्रेस सिस्टम व सात वाई-फाई डोंगल गांव को हाईटेक बना रहे हैं।गांव स्थित प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय भी इस विकास के साक्षी हैं। अत्याधुनिक शौचालय, जलापूर्ति से लैस विद्यालय के फर्श में लगे टाइल्स व दीवारों का रंगरोगन अपने आप में बदलाव की कहानी बयां कर रहे हैं। यहां के विकास को देखते हुए निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी ने इसे गोद ले लिया है।
निजी संसाधनों से रचा इतिहास
बिना किसी सरकारी सहयोग व अनुदान के ही इस युवा प्रधान ने निजी संसाधनों के जरिए अब तक की विकास यात्रा तय की है। सीसीटीवी कैमरे, वाई-फाई, वेबसाइट, पब्लिक एड्रेस सिस्टम, विद्यालय का कायाकल्प, पूरे गांव को गुलाबी रंग में रंगवाना आदि सबकुछ उन्होंने अपने खर्चे पर किया है। अब जब लकीर धीरे-धीरे लंबी हो रही है तो लोगों व संस्थाओं का सहयोग मिलना भी प्रारंभ हो गया है।’एक सोच थी कुछ अलग करने की। इसी के तहत मैंने पुंसरी का दौरा किया और वहां के सरपंच हिमांशु पटेल से गांव के विकास में सहयोग मांगा। धीरे-धीरे लोगों का सहयोग मिलता गया और नतीजा सबके सामने है।
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