यूपी : 2016 के बाद एक बार फिर मिड-डे मील योजना का होगा ऑडिट
उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के सभी 75 जिलों में मिड-डे मील योजना का ऑडिट करवाने जा रही है। यह ऑडिट बाहरी एजेंसियो की सहायता से किया जाएगा। कुछ दिनों पहले ही प्रदेश के मिर्जापुर जिले के एक प्राइमरी स्कूल का वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें सामने आया था कि मिड-डे मील में बच्चों को नमक-रोटी खिलाई जा रही है। वीडियो वायरल होने के बाद लोगों में काफी गुस्सा था। सरकार मिड-डे मील का ऑडिट दो साल से भी ज्यादा समय बाद करवा रही है। इसके पहले 2016 में ऑडिट हुआ था।
गुणवत्ता कि होगी परख
इस ऑडिट का उद्देश्य प्राइमरी स्कूलों में मिड-डे मील में बच्चों को दिए गये खाने की गुणवत्ता परखना है। जो संस्थान इस ऑडिट को करेंगे उनमें लखनऊ यूनिवर्सिटी, आईआईएम लखनऊ और गोविंद वल्लभ पंत सोशल साइंसेस संस्था शामिल है। 2016 में इस तरह का ऑडिट में गिरी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलेपमेंट साइंसेस को शामिल किया गया था, लेकिन यह केवल दो जिलों तक ही सीमित था।
ये गांव होंगे शामिल
इसके साथ ही इस बार के ऑडिट में सैंपल साइज में सभी 75 जिलों में 20 गांव लिए जाएंगे। इस बार के ऑडिट का उद्देश्य खाने की गुणवत्ता के साथ ही उसमें पोषकता का स्तर देखना और इस बात का भी पता लगाना है कि मिड-डे मील से ड्रॉप-आउट रेट में कितनी कमी आई है। ऑडिट टीम इस बारे में भी फीडबैक देगी कि इस योजना से बच्चों में जाति और धार्मिक भेदभाव में कितनी कमी आई है।
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निदेशक ने बताया
मिड-डे मील प्राधिकरण के निदेशक विजय किरन आनंद का कहना है कि इस बार हमने संस्थाओं और यूनिवर्सिटीज को बच्चों को दिये जाने वाले मिड-डे मील का फीडबैक देने के लिए लगाया है ताकि इसमें मौजूद कुप्रबंधन में सुधार किया जा सके।
वीडियो हुआ था वायरल
गौरतलब है कि मिर्जापुर के प्राइमरी स्कूल में मिड-डे मील में बच्चों के नमक-रोटी खाने का वीडियो वायरल हुआ था जिसने राज्य सरकार की काफी किरकिरी करवाई थी। जिसके बाद दो कर्मचारियों को सस्पेंड भी कर दिया गया था, लेकिन बाद में जिस पत्रकार ने यह वीडियो बनाया था उस पर कथित तौर पर तथ्यों की गलत रिपोर्टिंग करने के आधार पर केस दर्ज हो गया था।
हालांकि, पत्रकार पर इस तरह से केस करने पर काफी विवाद हुआ था जिसके बाद नए बेसिक शिक्षा अधिकारी सतीश द्विवेदी द्वारा फिर से जांच के आदेश दिए गए।
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