प्राइवेट नौकरियों में भी मिले आरक्षण, भारत बंद का करती हूं समर्थन : मायावती
एससी-एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए बदलाव के विरोध में दलित(Dalit) संगठनों द्वारा सोमवार को बुलाए गए भारत बंद का देश भर में व्यापक असर देखने को मिला। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने इस दौरान हुई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि दलितों के नाम पर असामाजिक तत्व हिंसा कर रहे हैं। इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी आंदोलन को समर्थन जरूर करती है लेकिन हिंसा के खिलाफ है। बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि केंद्र सरकार की दलित(Dalit) और पिछड़ा वर्ग विरोधी नीतियों की वजह से ही आज सड़कों पर उतरकर विरोध हो रहा है।
निजी क्षेत्र में भी मिले आरक्षण
प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि बीएसपी निजी क्षेत्र और पदोन्नति में भी आरक्षण के पक्ष में है और यह हक दिलाने के लिए प्रयास करती रहेगी। बीएसपी सुप्रीमो ने दलितों के साथ अन्याय की बात पर कहा, ‘केंद्र सरकार की जहरीली जातिवादी सोच व कार्यप्रणाली का परिणाम है कि दलितों को उनका कानूनी हक नहीं मिल पा रहा है। जो अधिकार बाबा साहब ने दिलवाए थे वह दलित और आदिवासियों को नहीं मिले हैं। आज भी हर जगह दलितों को अन्याय और उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।’ केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी को घेरते हुए उन्होंने कहा, ‘बीजेपी अपनी सरकारी शक्ति और संसाधनों का दुरुपयोग कर इसे बढ़ावा दे रही है और दलित कर्मचारियों का प्रमोशन भी इसी के तहत रोका गया है।’
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असामाजिक तत्व कर रहे हैं हिंसा
भारत बंद के दौरान हुई हिंसा पर मायावती ने कहा, ‘मैं एससी-एसटी आंदोलन का समर्थन करती हूं लेकिन दलितों के नाम पर असामाजिक तत्व हिंसा कर रहे हैं। बीएसपी हिंसा की निंदा करती है और हमारी पार्टी के लोग इसमें शामिल नहीं हैं।’ मायावती ने कहा कि एससी-एसटी ऐक्ट को महज कागज का टुकड़ा बनाने को लेकर दलितों और पिछड़ों के सब्र का बांध टूट गया और उन्हें सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरना पड़ा है।
प्राइवेट सेक्टर में लागू हो आरक्षण
मायावती ने कहा, ‘दलित अंधकार युग में जा रहे हैं और उनके खिलाफ बनाए गए माहौल और सरकार के जातिवाद से प्रेरित फैसलों की वजह से उन्हें सड़क पर उतरना पड़ा है। भारत बंद को पूरे देश में व्यापक समर्थन मिला है।’ मायावती ने कहा कि हर क्षेत्र को बड़ी कंपनियों और धन्नासेठों को सौंप दिया गया है जिससे उनमें आरक्षण लगभग न के बराबर रह गया है।
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