देश की जनता बीजेपी को दिखाएगी बुरे दिन : मायावती

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने रविवार को केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि भाजपा सरकारें संवैधानिक जिम्मेदारियों को निभाने व राजधर्म निभा पाने में विफल साबित हो रही हैं। उन्होंने कहा कि देश की जनता अब भाजपा नेताओं को उनके बुरे दिन दिखाने का मन बना रही है।

मायावती ने केंद्र की मोदी सरकार की तरह प्रदेश की योगी सरकार को भी सरकारी नौकरी उपलब्ध कराने तथा अपराध-नियंत्रण व कानून-व्यवस्था के मामले में फिसड्डी करार दिया है। उन्होंने कहा, “भाजपा की दोनों ही सरकारों से जनता व व्यापारी वर्ग का मोहभंग हो गया है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री अपनी तसल्ली के लिए अक्सर एक-दूसरे की तारीफें करते रहते हैं, ताकि जनता का ध्यान बांटा जा सके।”

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उन्होंने कहा, “जेएनयू, डीयू, राजस्थान व गुवाहाटी विश्वविद्यालयों के बाद अब हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की करारी हार को देश के राजनीतिक बदलाव का नया शुभ शकुन मानकर इसका स्वागत किया जाना चाहिए। भाजपा के नेताओं ने जनता को विभिन्न प्रकार से बहकाकर अपने अच्छे दिन बहुत देख लिए हैं। अब देश की जनता उनको उनके बुरे दिन दिखाने का मन लगातार बनाती जा रही है।”

मायावती ने कहा, “हैदराबाद यूनिवर्सिटी में एबीवीपी की करारी शिकस्त व एएसजे (एलायंस फॉर सोशल जस्टिस) गठबंधन की शानदार जीत वास्तव में दलित स्कालर रोहित वेमुला को बेहतरीन श्रद्धांजलि है और केंद्र की भाजपा सरकार को सबक है कि वह दलित-विरोधी हरकतों से अब भी बाज आ जाए ताकि देश में किसी अन्य रोहित वेमुला को आत्महत्या करने के लिए मजबूर नहीं होना पड़े।”

उन्होंने कहा, “कुछ मुट्ठीभर बड़े-बड़े पूंजीपतियों व धन्नासेठों को छोड़कर देश के समस्त सवा सौ करोड़ लोग महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, अशिक्षा व स्वास्थ्य सेवा के अभाव से परेशान हैं। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व विभिन्न राज्यों में भाजपा की सरकारें इन विकट राष्ट्रीय समस्याओं के प्रति घोर लापरवाह व उदासीन बनी हुई हैं। भाजपा सरकारें अपनी संवैधानिक जिम्मेंदारियों को निभाने का राजधर्म निभा पाने में विफल साबित हो रही हैं।”

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मायावती ने कहा, “देश की आम जनता व खासकर छात्रों एवं युवा वर्ग में जो बेचैनी व आक्रोश है, वह अब विभिन्न रूपों में उबलकर सामने आने लगा है। विश्वविद्यालयों के छात्र संघ के चुनाव परिणाम इस बात के प्रमाण हैं कि लोग गौरक्षा, घर वापसी, लव जिहाद, एंटी-रोमियो, देशगान व राष्ट्रीय सुरक्षा आदि भावनात्मक मुद्दों के चंगुल से निकलकर जीवन के वास्तविक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने लगे हैं। भयंकर महंगाई व जबर्दस्त बेरोजगारी का मुद्दा इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है जिसमें मोदी सरकार की नीतियां बुरी तरह से फ्लाप साबित हुई हैं।”

उन्होंने कहा, “इनका ‘कौशल विकास’ (स्किल डेवलपमेंट) का खास मंत्रालय भी नकारा साबित हुआ है, क्योंकि स्वयं ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ के आंकड़े बता रहे हैं कि देशभर में जिन लगभग तीस लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया उनमें से केवल 10 प्रतिशत (2.9 लाख) लोगों को ही नौकरी के आफर प्राप्त हुए।”

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