ज्योतिष शास्त्र में भूमिपुत्र मंगल को साहस, शक्ति और ऊर्जा का कारक माना जाता है. किसी भी कुंडली के लग्न में मंगल के शुभ होने से जहां जातक को हर क्षेत्र में मनचाही सफलता मिलती है, वहीं इससे संबंधित दोष उसके स्वास्थ्य और संबंधों में तमाम तरह की परेशानियों का बड़ा कारण बनता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति की कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बाहरवें भाव में होने को मांगलिक योग कहा जाता है. आइए विस्तार से जानते हैं कि इस शुभ योग का व्यक्ति के जीवन और उसके स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है.
लग्न मांगलिक योग क्या है?
आज हम आपको लग्न मांगलिक योग के बारे में बताएंगे। लग्न मांगलिक योग का अर्थ है प्रथम भाव में किसी भी राशि में मंगल के उपस्थित होने पर मांगलिक योग का निर्माण होना। लग्न से तात्पर्य व्यक्ति के व्यक्तित्व, स्वभाव और शारीरिक गठन से है. लग्न मांगलिक योग में यदि मंगल स्वराशि (मेष, वृश्चिक), उच्च या मित्र राशि (सिंह, धनु, मीन) में हो तो ऐसे जातक लंबे, चौड़े और मांसल शरीर वाले होते हैं. अगर किसी लड़की की कुंडली में है ये गुण तो उसका स्वभाव होगा लड़कों जैसा. क्योंकि मंगल ग्रह को अशुभ ग्रह माना जाता है.
ऐसी गलती भूलकर भी न करें…
यदि लग्न में मांगलिक योग वाले लड़के या लड़की की शादी ऐसे लड़के या लड़की से होती है जिसकी कुंडली में मांगलिक योग नहीं है तो वैवाहिक जीवन नीरस हो जाता है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां भी बनी रहती हैं. मन में नकारात्मक सोच बनी रहती है और हमेशा ध्यान भटकता रहता है. वैवाहिक सुख के लिए आवश्यक है कि मांगलिक योग वाले व्यक्ति का विवाह मांगलिक से ही हो. बहुत से लोग मंगल के साथ बृहस्पति के मौजूद होने पर मांगलिक दोष को नहीं मानते हैं. वहीं ऐसी स्थिति में मांगलिक योग का प्रभाव कम हो जाता है लेकिन समाप्त नहीं होता है.
तो सेहत पर बुरा असर पड़ता है…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि लग्न में नीच राशि (कर्क, वृषभ, तुला) में मंगल हो तो पूरा जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहता है. ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां बनी रहती हैं. ऐसे लोगों के मन में कभी-कभी आत्महत्या के विचार भी आ सकते हैं.
तब मंगल शुभ फल देता है…
वहीं यदि लग्न में उच्च का मंगल हो तो व्यक्ति को सेना या पुलिस में अच्छा पद मिल सकता है. मित्रों और परिवार का भी सदैव सहयोग और लाभ मिलता रहता है. अपने प्रभावशाली व्यक्तित्व के कारण वह परिवार और समाज में मुखिया की भूमिका निभाता है. ऐसे लोग अच्छे सलाहकार भी होते हैं. ऐसे व्यक्ति का विवाह यदि किसी मांगलिक व्यक्ति से ही हो तो जीवन और भी सुखमय हो जाता है.
Also Read: सावन के चौथे सोमवार पर काशी में भागीरथी रूप में भूत भावन भक्तों को दे रहें दर्शन