एक 65 साल के शख्स ने अपनी बहू का रेप किया। शख्स ने बार-बार उसे प्रताड़ित किया और फिर उसका बलात्कार किया। पहले तो बहू ने डर के मारे ये बात किसी को नहीं बताई। लेकिन जब पानी सर से ऊपर चला गया तो उसने हिम्मत जुटाकर इसकी जानकारी अपने माता-पिता को दी।
इसके करीब 2 महीने बाद बहू ने अपने ससुर के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया। इसके बाद 65 साल के शख्स ने जमानत याचिका लगाई थी जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। जमानत देने से इनकार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने मार्मिक टिप्पणी की।
कोर्ट ने की ये टिप्पणी-
कोर्ट ने कहा कि रेप केवल एक शारीरिक हमला नहीं है, बल्कि यह पीड़िता के मानस को खराब करने के साथ उसके पूरे व्यक्तित्व को नष्ट कर सकता है। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने यह भी कहा कि बलात्कार एक अत्यंत जघन्य अपराध है। इसका आघात पीड़िता को वर्षों तक सहन करना पड़ सकता है।
अदालत ने 21 अक्टूबर को जमानत याचिका खारिज करते हुए पारित आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता पर बहू के साथ बलात्कार करने का आरोप लगाया गया है। इस समय उसके पीड़िता को धमकी देने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
कोर्ट ने दिया ये आदेश-
अदालत ने यह भी कहा कि मौजूदा मामले में दो महीने के अंतराल के बाद एफआईआर दर्ज की गई। इसका मतलब यह नहीं है कि बहू ने झूठा मामला दर्ज कराया है।
अदालत ने यह देखते हुए कि याचिकाकर्ता पिछले साल अगस्त से हिरासत में है, निचली अदालत को जितनी जल्दी हो सके आरोपों के बारे में बहू की दलीलें सुनने और उनकी पड़ताल करने का निर्देश दिया।
बहू पर ही लगाया आरोप-
याचिकाकर्ता ने इस आधार पर जमानत मांगी कि मामला एक वैवाहिक विवाद से उत्पन्न हुआ है और बहू परिवार में सभी को फंसाने की कोशिश कर रही है।
अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता की उम्र 65 वर्ष है। वह बीमार है। उसके खिलाफ निचली अदालत के समक्ष चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। अभियोजन और बहू ने जमानत देने का विरोध किया था।
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