महाकुंभ 2025- संगम के छह घाटों पर तैनात होंगी देश की पहली फायर फाइटिंग बोट
Report By- विजय सिंह
प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ के अवसर पर किसी भी आंशिक अगलगी की घटनाओं पर तत्काल काबू पाने के लिए देश की पहली छह फायर फाइटिंग बोट की तैनाती की जा रही है. घाटों पर तथा समीप के क्षेत्र में आग लगने की स्थिति में गंगा में तैर रही इन बोट से तत्काल पानी की बौछार कर इनपर काबू पाया जा सकेगा. इस बोट को खासतौर पर कुंभ मेले की भीड़ को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस बोट को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में तैयार किया है. कुछ ही दिनों में ये बोट प्रयागराज लाए जाएंगे. ये बोट संगम के छह अलग-अलग घाटों पर रहेंगे. अगलगी की घटनाओं पर तत्काल काबू पाने करे अलावा ये लोगों को बचाने का भी काम करेंगे.
यूपी और एमपी के अधिकारी कर रहे हैं इसकी जांच
जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश फायर सर्विस और मध्य प्रदेश एसडीआरएफ की टीम मिलकर आग बुझाने के दौरान आने वाली परेशानियों से निजात पाने के लिए विभिन्न तरह से इसकी जांच कर रहे हैं. इस बोट की सहायता से पानी में रहते हुए आग बुझाने का कार्य किया जाएगा. गौरतलब है कि कुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है. इसलिए कहीं भी आग लगने की स्थिति में भीड़भाड़ वाले इलाकों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का पहुंचना काफी मुश्किल होता है. इसी समस्या से निजात पाने के क्रम में इस बोट को विशेष रूप से बनाया गया है. इस बोट से किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद दी जा सकेगी.
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भीड़ को ध्यान में रखकर किया निर्माण
इस बोट को बनाने वाले राजेंद्र गिरी के अनुसार महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के मद्देनजर इस प्राकर के बोट का निर्माण किया गया है. भारी भीड़ की वजह से कई इलाकों में आपात स्थितियों में फायर ब्रिगेड की गाड़ियां नहीं पहुंच पाती हैं. यह बोट घाट के आसपास आग लगने की किसी भी आपात स्थिति में तुरंत मदद पहुंचाएगी. यह आग बुझाने के साथ-साथ फंसे हुए लोगों को बचाने में भी कारगार है.
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बता दें कि इस बोट की जांच करने उत्तर प्रदेश फायर सर्विस के अधिकारी प्रतीक श्रीवास्तव भोपाल पहुंचे हैं. उन्होंने बताया कि इस बोट की हर तरीके से जांच कर इसकी प्रयागराज महाकुंभ-2025 को दौरान विभिन्न घाटों पर तैनाती की जाएगी. जानकारी दी कि बोट की जांच के दौरान कुछ छोटी-मोटी दिक्कतें देखने को मिली है, जिन्हें दूर कराकर जल्द ही इसको प्रयागराज लाया जाएगा. अधिकारी के अनुसार भारत में पहले इस तरह की बोट कभी नहीं बनाई गई. यह एक तरह से नई खोज और अनूठा प्रयास है.