Lucknow ke Raam: लखनऊ का वह तालाब जिसे मां सीता ने पैर धोकर किया था पवित्र

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Lucknow ke Raam: प्रभु श्रीराम कण – कण में विद्यमान हैं और जिस शहर का नाम ही प्रभु श्रीराम के लाडले भाई लक्ष्मण के नाम पर पड़ा हो वो शहर प्रभु राम से कैसे अनभिज्ञ रह सकता है. लखनऊ के कई स्थानों के नाम और अस्तित्व प्रभु श्रीराम से जुड़ा हुआ है. इसी कड़ी में आज हम बात करने जा रहे लखनऊ के काकोरी कस्बे के गुरघुरी तालाब की, जिसका अस्तित्व प्रभु राम के समय से है. ऐसे में आज हम घुरघुरी तालाब के इतिहास के पन्नों को पलटेंगे और जानेंगे इसका पूरा इतिहास….

घुरघुरी तालाब का इतिहास

यूपी की राजधानी लखनऊ के ककोरी कस्बे में घुरघुरी तालाब है. मान्यता है कि इस तालाब का अस्तित्व भगवान राम के समय से है. कहा जाता है कि जनता की बातों से हताहत होने के बाद जब प्रभु राम ने माता सीता को त्याग दिया था. तब उनके भ्राता लक्ष्मण माता सीता को महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में छोड़ने के लिए निकले थे. उसी दौरान बिठूर जाते समय माता सीता ने इस तालाब में अपने पैर धोए जिससे इसका जल अमृत हो गया था. तब से यह तालाब पूज्यनीय माना जाने लगा है.

घुरघुरी तालाब का महत्व

घुरघुरी तालाब के महत्व को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तालाब के जल में घाव धोने से वे ठीक हो जाते हैं. इस तालाब के जल को पीने से पुरानी से पुरानी बीमारी ठीक हो जाती है. लोग बताते हैं कि भले ही देखरेख के अभाव से इस तालाब का पानी गंदा हो चला है लेकिन यह आज भी पवित्र और काफी फायदेमंद है.

स्थानीय लोगों ने दी ये जानकारी

वहीं घुरघुरी तालाब को लेकर स्थानीय निवासी महादेव प्रसाद अवस्थी बताते हैं कि इस तालाब को गोड़ धुली के नाम से भी जाना जाता था. समय के साथ इसके नाम में बदलाव होता रहा है. कालांतर में दस्तावेजों में इस तालाब का नाम घुरघुरी दर्ज हो गया है. तालाब का यह नाम गुरूदयाल लालला के नाम पर रखा गया है. इसके आगे महादेव बताते हैं कि घुरघुरी तालाब के किनारे आदि शक्ति दुर्गा और हनुमान जी का मंदिर है. कार्तिक पूर्णिमा पर यहां लगने वाले मेले में दूर दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. उन्नीसवीं सदी से एक हिंदू राजा गुरूदयाल ने इस तालाब का जीर्णोद्धार कराया था. इस तालाब को लेकर लोगों में गहरी श्रद्धा देखने को मिलती है.

तालाब में है रहस्यमयी कुआं

बताते हैं कि घुरघुरी तालाब के बीचो-बीच एक पाताल भेदी कुआं है जिसके ओर – छोर कहीं भी पता नहीं चलता है. ऐसा माना जाता है कि यह रहस्यमयी कुआं तालाब से थोड़ी दूर पर बने शिव मंदिर से जुड़ा है. हालांकि उस कुएं का कोई अंत नहीं है. तालाब के दाहिनी तरफ एक भवननुमा स्थल है, जहां हर गुरूवार को नौचंदी और कार्तिक पूर्णिमा का मेला लगता है.

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लखनऊ में कहां स्थित है घुरघुरी तालाब

आपको बता दें कि लखनऊ से मोहान जाने वाले मार्ग से 12 किमी. दूर गुरूगढ़ी का तालाब है, जिसे लोग घुरघुरी तालाब के नाम से भी जानते हैं. इसका निर्माण 19 वीं सदी में मंडी सआदरगंज के हिन्दू गुरूदयाल ने करवाया था. घुरघुरी तालाब के किनारे आदि शक्ति दुर्गा और हनुमान जी का मंदिर स्थित है. कार्तिक पूर्णिमा पर यहां लगने वाले मेले में दूर दूर से लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

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