शराब कांड से बौखलाया बीजेपी आलाकमान, जिला इकाई सस्पेंड करने की तैयारी

पीएमओ ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं

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वाराणसी में लॉकडाउन के बीच शराब तस्करी में अपने पदाधिकारियों का नाम उछलने के बाद बीजेपी आलाकमान बेहद नाराज है। सोशल मीडिया पर लोग जिस तरह से थू-थू कर रहे हैं, उसके बाद पार्टी नेताओं को जवाब देते नहीं बन रहा है। पीएमओ ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बीजेपी की पूरी जिला इकाई को ही सस्पेंड किया जा सकता है।

प्रधानमंत्री तक पहुंची शराब कांड की शिकायत-

शराब कांड में बीजेपी नेताओं के शामिल होने की गूंज दिल्ली तक सुनाई दी है। सूत्रों के मुताबिक खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस खबर का संज्ञान लिया है। बीजेपी के आलानेता इस बात से हैरान हैं कि लॉकडाउन के बावजूद आखिर कैसे इतनी बड़ी चूक हुई ? बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने तत्काल एक्शन लेते हुए भाजयुमो के जिलाध्यक्ष को हटाने के साथ ही उनकी पैरवी करने वाले जिला महामंत्री को भी पद से हटाकर डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। माना जा रहा है कार्रवाई का सिलसिला आगे भी जारी रहेगा। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने एक इंटरनल इंक्वायरी बैठाई है। इसकी रिपोर्ट आते ही कुछ और बड़े नेताओं पर गाज गिरेगी।

भंग हो सकती है पूरी जिला इकाई-

बनारस में जिस तरह से पार्टी की किरकिरी हुई है, उसे देखते हुए बीजेपी आलाकमान जिला इकाई को भंग करने का मूड बना रही है। संभव है कि नई कार्यकारिणी बनाकर ईमानदार छवि के नेताओं को जगह दी जाए। प्रदेश आलाकमान इस बात से हैरान है कि

– वाराणसी जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में आखिर कैसे इतनी बड़ी चूक हुई ?

– वो कौन लोग थे जिन्होंने जिला कार्यकारिणी में शराब तस्करों से संबंध रखने वाले लोगों की पैरवी की ?

– क्या वर्तमान जिलाध्यक्ष को आरोपी पदाधिकारियों की कारगुजारी की जानकारी नहीं थी ?

-या जानबूझकर आरोपी पदाधिकारियों के गुनाहों पर पर्दा डाला गया ?

मंत्रियों की फौज फिर भी इतनी बड़ी चूक !

बनारस में मंत्रियों की फौज है। कैबिनेट और स्वतंत्र प्रभार के तीन मंत्री शहर से ही आते हैं। इसके अलावा केंद्रीय कैबिनेट मंत्री का दखल भी रहता है। संगठन के नाम पर काशी प्रान्त के संगठन मंत्री और अध्यक्ष की मौजूदगी शहर में रहती है। बावजूद इसके पार्टी के जिम्मेदार पदों पर ऐसे लोगों को बैठाया गया, जिनका सीधा सरोकार शराब तस्करी जैसे धंधे से था। ऐसा हो नहीं सकता है कि स्थानीय मंत्रियों और वरिष्ठ पदाधिकारियों को इस बात की भनक ना लगी हो कि उनकी पार्टी में क्या चल रहा है ? बताया जा रहा है कि भाजयुमो के जिस जिलाध्यक्ष पर शराब तस्करी के आरोप लगे, उसकी नियुक्ति के लिए एक मंत्री ने पूरी ताकत लगा दी।

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