क्विक हील एंटी-वायरस के मालिक की ऐसी है कहानी, जानें कैसे बने 2 हजार करोड़ के मालिक

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कभी कभी पढ़ाई से ज्यादा आपका हुनर आकपे लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि कुछ ऐसी जगह होती है जहां आपकी शिक्षा पर आपका हुनर भारी पड़ने लगता है। कुछ ऐसा ही एक दसवीं पास शख्स की कहानी है। जो कभी कैलकुलेटर सुधारने का काम करता था आज पूरी दुनिया के कंप्यूटर मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स को वाइरस से बचाने का काम कर रहे हैं।

जी हां आपको बता दे कि कैलाश काटकर एक ऐसा नाम है जिसने कंप्यूटरों को वाइरसों के हमले से बचाने केलिए एक ऐसा एंटी-वाइरस बनाकर तैयार कर दिया जिसने पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। कंप्यूटर सॉल्युशंस देने वाली कंपनी क्विक हील की सफलता साबित करती है कि व्यक्ति एक दिशा में बढ़ता रहे, तो धीरे-धीरे तरक्की करते हुए ऊंचाई तक पहुंच ही जाता है।

46 साल के काटकर क्विक हील टेक्नोलॉजीज के को-फाउंडर हैं और फिलहाल कंपनी के एमडी और सीईओ के रूप में काम कर रहे हैं। कैलाश ने गरीबी के चलते ज्यादा पढ़ाई तो नहीं कर पाए और महज 10वीं पास करने के बाद घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के  लिए कमाने निकल पड़े।

जब कैलाश के पास कुछ आमदनी होने लगी तो वो फिर से पढ़ाई की महत्व को समझते हुए फिर से पढ़ाई करने लगे। कैलाश ने कई  शार्ट टर्म कोर्स किए और अपने छोटे भाई को हॉयर एजुकेशन के लिए प्रेरित किया। 90 के दशक की शुरुआत में ही कैलाश ने समझ लिया था कि आने वाला वक्त कंप्यूटर का है।

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इसलिए वे दिन में अपनी शॉप पर काम करते और शाम को कंप्यूटर से संबंधित शॉर्ट टर्म कोर्स करते थे। उन दिनों इंटरनेट का प्रचलन नहीं था। ज्यादातर वाइरस फ्लॉपी के जरिए फैलते थे और कंप्यूटर का भट्ठा बिठा देते थे। तब कंप्यूटर को फॉर्मेट कर देने के अलावा कोई चारा नहीं होता था।इस बीच कैलाश के छोटे भाई संजय ने बारहवीं कक्षा पास कर ली थी।

कैलाश तब तक कंप्यूटर्स के महत्व को अच्छी तरह पहचान चुके थे। इन संभावनाओं को देखते हुए उन्होंने छोटे भाई संजय को कंप्यूटर साइंस में बीएससी करने के लिए प्रेरित किया।संजय कॉलेज की पढ़ाई करने के साथ भाई के काम में हाथ भी बंटाते थे। वे डि-बगिंग पढ़ रहे थे। काम के दौरान संजय देखते कि बहुत सारे ऑफिस गैजेट्स के खराब होने का कारण वाइरस इन्फेक्शन होता था।

दोनों भाइयों ने मिलकर 1994 में क्विक हील की शुरुआत की। यह सस्ता और कारगर एंटीवाइरस था, इसलिए बहुत पसंद किया गया।काटकर बंधुओं ने अपने काम को विस्तार देना शुरू किया। उन्होंने कुछ सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की नियुक्ति की। 1998 में वे रिपेयरिंग का काम बंद करके पूरी तरह एंटीवाइरस डेवलप करने के काम में आए गए।

लेकिन 1999 में हालात बिगड़ गए। उन्हें कर्मचारियों की सैलरी जुटाने में भी दिक्कत होने लगी। इस दौरान कैलाश काम बंद करने के बारे में भी सोचने लग गए थे। फिलहाल क्विक हील टेक्नोलॉजीज की वैल्यू 2,000 करोड़ रुपए आंकी गई है।

इसमें दोनों भाइयों की नेटवर्थ 1,500 करोड़ रुपए है। 2016 में कंपनी ने शेयर मार्केट में प्रवेश किया और 450 करोड़ रुपए जुटाए। कंपनी में अब 1,400 से ज्यादा एंप्लाइज हैं और दुनियाभर में इसके 2 करोड़ से अधिक कस्टमर हैं। कंपनी मोबाइल सॉल्युशंस के क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ रही है। कैलाश कंपनी के एमडी व सीईओ हैं और संजय चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

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