जानें कैसे इस लड़के ने तय किया सड़क पर भीख मांगने से लेकर कैंब्रिज यूनिवर्सिटी तक का सफर

0

कहते हैं नसीब में जो लिखा है वो मिलना तय है। बस सिर्फ उसके साथ आपकी मेहनत और लगन को एक साथ आने की जरुरत है। आप सुबह जब घर से निकलते हैं तो स़ड़कों पर आप को कोई न कोई भिखारी भीख मांगते हुए जरुर दिखाई देता होगा। साथ ही उन भिखारियों में कुछ छोटे उम्र के नन्हें बच्चों के हाथ में भी कटोरा लिए पेट की भूख मिटाने के लिए भीख मांगते हुए नजर आते हैं।

क्या कभी आपने उन बच्चों को देखकर ऐसा ख्याल नहीं आया कि अगर उनको भी अच्छी शिक्षा मिले तो उनकेो अंदर भी एक टैलेंट छुपा होता है। और उस टैलेंट के दम पर वो भी दुनिया में एक मुकाम हासिल कर सकते हैं। बिल्र्कुल सही सोचा आपने उन नन्हें बच्चों में भी कोई न कोई हुनर जरुर होता है। बस जरुरत होती है उस हुनर को पहचानने की।

ठीक उसी तरह हम आप को बता रहे हैं एक भिखारी की कहानी। जिसने चंडीगढ़ की सड़कों पर कभी भीख मांगता फिरता था और आज दुनिया की जानीमानी कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। इस शख्स का नाम जयवेल है। अपने परिवार के भरणपोषण के लिए मां के साथ भीख मांगने पर मजबूर था।

और भीख मांगकर मां-बेट गुजारा करते थे। दरअसल 80 के दशक में सुखे के चलते सब कुछ कर्ज में गंवाकर चेन्नई चले आये थे। आपको बताते हैं कैसे जयवेल पहुंचा विदेश की इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में। दरअसल एक दिन भीख मांगते हुए जयवेल की मुलाकात उमा मुथुरमन नाम की एक सामाजिक कार्यकर्ता से हुई। उमा नाम की इस कार्यकर्ता और उनके पति दोनों लोग मिलकर सड़कों पर भीख मांगने वाले लड़कों के बारे में जानकारी जुटा रहे थे।

Also read : जब सीएम योगी ने खुद उठा ली झाड़ू…

दरअसल, उमा एक चैरिटेबल ट्रस्ट नाम से एक सामाजिक संगठन चला रही थी। जहां पर गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दिलायी जाती थी। जयवेल से मिलने के बाद उमा ने जयवेल को भी अपने साथ ले गई और आगे की पढ़ाई कराने लगीं। पहले तो जयवेल का मन नहीं लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे जयवेल पढ़ने लगा और उसने 12वीं की परीक्षा में अव्वल स्थान पर रहा।

साथ ही जयवेल ने कैंब्रिज में दाखिला लेने वाली परीक्षा को भी अच्छे नंबरों से पास कर लिया। इसके बाद जयवेल की जिंदगी में चार चांद लग गए और जयवेल ने ब्रिटेन के वेल्स में स्थित ग्लिंदूर यूनिवर्सिटी में परफॉर्मेंस कार इनहैंसमेंट टेक्नालॉजी इंजीनियरिंग कोर्स में दाखिला मिल गया।

बता दें कि इस कोर्स के जरिए रेसिंग कारों की क्षमता बढ़ाने के संबंध में पढ़ाई होती है। जयवेल की पढ़ाई में करीब 18 लाख रुपए का खर्च आया जिसका वहन उमा की संस्था ने किया। और जयवेल के सपनों को साकार करने में मदद की।

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More